देशभर में अब तमाम युवा नौकरी से हटकर अपना काम शुरू कर रहे हैं। कोई नया स्टार्टअप शुरू कर रहा है तो कोई अपनी नई शॉप से पैसा कमा रहा है या कोई ऑनलाइन बिजनेस से कमाई कर रहा है। लेकिन खेतीबाड़ी में भी ग्रेजुएशन करके अपना काम शुरू करें, ये कम ही लोग सोचते हैं। लेकिन हम आपको यहां ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं। जिन्होंने ग्रेजुएशन और यूपीएससी की तैयारी करने के बाद फूलों की खेती शुरू की। कमाल की बात ये रही कि उन्होंने इसके बारे में ऑनलाइन सीखा और इसमें सक्सेसफुल भी हो गए।
जी हां, आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के रहने वाले विक्रम सिंह चौहान की। जो कि पिछले चार सालों से फूलों की खेती कर रहे हैं। साल 2016 में डीबीएस कॉलेज से इन्होंने अपनी बीएससी पूरी की। फिर यूपीएससी की तैयारी में लग गए। इन्होंने प्री तो क्लियर किए थे लेकिन मेन्स में अटक गए और फिर आ गया लॉकडाउन।
यूट्यूब से बदली किस्मत
लॉकडाउन के वक्त विक्रम जब घर पर थे तो वो पैसा कमाने के तरह तरह के तरीकों के बारे में सर्च करते रहते थे। तभी उन्हें गुलाब की खेती के बारे में पता चला। उन्होंने पहले यूट्यूब पर रिसर्च की और फिर कुछ ऐसे लोगों को वो पहले जानते थे जिन्होंने गुलाब की खेती की थी। वो उनके पास पहुंचे और वहां से जानकारी जुटाई। विक्रम के परिवार के पास विकासनगर और उनके गांव में जमीने तो थीं ही। फिर उन्होंने साल 2019 में ही फूल लगाने शुरू कर दिए।
पॉलीहाउस में लगाते हैं फूल
पॉलीहाउस में जहां आजकल लोग सब्जियों और फल उगा रहे हैं। विक्रम ने इसमें फूल उगाने शुरू किए हैं। उन्होंने अपने पॉलीहाउस में गुलाब के फूल लगाए हैं। उन्होंने बताया कि अगर अच्छे से गुलाब की देखभाल करेंगे तो इसका पौधा 8 से 10 साल तक अच्छा प्रोडक्शन देगा। वो बताते हैं कि सब्जियां तो तीन महीने में बदलनी पड़ती हैं लेकिन गुलाब के पौधे तो बार बार लगाने और उखाड़ने का झंझट नहीं रहेगा। इसलिए उन्होंने गुलाब को चुना।
विक्रम के पास 3 हजार स्क्वायर मीटर की जमीन है जिसमें से वो एक हजार जरबेरा की खेती कर रहे हैं और बाकी 2 हजार स्क्वायर मीटर में गुलाब की खेती कर रहे हैं। वैसे तो गुलाब महंगा बिकता है लेकिन उन्होंने जरबेरा को भी उगा रखा है क्योंकि उसकी कम मेहनत में ज्यादा प्रोडक्शन होती है जबकि गुलाब में केयर काफी करनी पड़ती है।
किन बातों का रखें ध्यान
विक्रम ने बताया कि अगर आप पॉलीहाउस में फूलों की खेती कर रहे हैं तो उसमें ड्रिप इरीगेशन ही सबसे कारगर तरीका है क्योंकि इससे पानी बर्बाद नहीं होगा और पानी बहुत ही कम खर्च होगा।
वहीं उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अगर कोई किसान भी अगर फूलों की खेती शुरू करना चाहता है और उसके पास लागत के लिए ज्यादा पैसे नहीं हैं तो वो कम एरिया में पहले ऐसे गुलाबों से खेती शुरू करें जो ओपन एरिया में लग जाते हैं। उनके लिए पॉलीहाउस की जरूरत नहीं होगी। एक बार उसमें सफलता मिल जाए तो फिर आगे पॉलीहाउस बनवाएं।
कितनी हो रही है कमाई?
विक्रम ने बताया कि 500 स्क्वायर मीटर से सालाना करीब साढ़े तीन लाख की कमाई हो जाती है। इसमें से अगर लागत भी निकाल दें तो करीब ढाई लाख की बचत आराम से हो जाती है। उनके इलाके में गुलाब की काफी डिमांड है। उन्होंने बताया कि वो आसपास के किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि देहरादून में तो पहले फ्रेश फूलों की डिमांड थी लेकिन अब विकासनगर में भी है। उन्होंने बताया कि वो डिमांड जितनी सप्लाई भी नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि गुलाब का पीक सीजन फरवरी में होता है। तब गुलाब की सिर्फ एक डंडी ही हॉलसेट मार्केट में 20 रुपये की बिकती है।
फूल की खेती पर मिलती है सब्सिडी
विक्रम ने बताया कि केंद्रीय सरकार पॉलीहाउस लगाने के लिए हर राज्य में 50% सब्सिडी दे रही है। उसके अलावा राज्य सरकार भी अलग से सब्सिडी देती है। कहीं पर ये 20% तो कहीं पर 30% तक सब्सिडी मिल जाती है।
खेती के अलावा कैसे मिलेगी एक्स्ट्रा इनकम
फूलों की खेती करके वैसे तो विक्रम सीधे हॉलसेल मार्केट में बेच रहे थे लेकिन उन्होंने देखा कि इसका इस्तेमाल डेकोरेशन में हो रहा तो उन्होंने पिछले करीब 7 महीने से इसमें भी हाथ आजमाया है। जहां आप हॉलसेल में 1 स्टिक 10 रुपये की बिकती हैं वहीं डेकोरेशन के काम में आप एक स्टिक के लिए 40 रुपये तक के चार्ज कर सकते हैं।
घरवालों से नहीं मिला था सपोर्ट
विक्रम ने जब घर पर बताया कि वो पॉलीहाउस लगाकर खेती करना चाहते हैं तो घरवालों ने सपोर्ट नहीं किया। उनके पापा आईटीबीपी में सब इंस्पेक्टर हैं और वो चाहते थे कि बेटा भी सरकारी नौकरी करे। शुरू में तो विरोध हुआ लेकिन बाद में पिता ने भी सपोर्ट किया और अब वो भी बेटे की कामयाबी पर काफी खुश हैं।
युवाओं को संदेश
विक्रम देश के युवाओं से कहते हैं, ”इधर उधर प्राइवेट नौकरी में धक्के खाने से अच्छा है, अगर आपके पास जमीन है तो मैं यूथ को यही मैसेज दूंगा कि आप फूलों की खेती जरूर ट्राई करें। पहले आप ओपन वैराइटी से ट्राई करें। आप गेंदा लगा सकते हैं या गुलाब लगा सकते हैं। अगर आपको ये सही लगे तो फिर आगे बढ़ सकते हैं और पॉलीहाउस जैसे स्ट्रक्चर पर जा सकते हैं।”
अब आगे विक्रम यूथ को फार्मिंग से जोड़ना चाहते हैं। उनका प्लान है कि वो आगे अपना स्ट्रक्चर तैयार करके युवाओं को हफ्ते दस दिन की ट्रेनिंग देंगे जिससे युवा खुद का अपना रोजगार शुरू कर सके और फार्मिंग की तरफ जाए। विक्रम ने खुद एक हजार स्क्वायर मीटर से शुरू किया था वो फिलहाल 3000 स्क्वायर मीटर खेती कर रहे हैं लेकिन अब वो इसे 4000 और इससे भी ज्यादा पर खेती करना चाहते हैं। वो अपने आसपास के लोगों को भी इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि लोगों को पलायन करके बाहर ना जाना पड़े और रोजगार के लिए धक्के ना खाना पड़े।
अगर आप भी गुलाब की खेती की कुछ जानकारी लेना चाहते हो तो विक्रम को संपर्क कर सकते है
+91-6230779746