देश की पहली नर्सरी, पौधों के साथ मिलती है फ्री ट्रेनिंग, यहां 1 पेड़ में उगाते हैं 176 प्रकार के आम

खेती किसानी अब घाटे का सौदा नहीं रह गया है। तकनीक के साथ किसान भाई जितनी मेहनत करेंगे उतनी ही कमाई कर पाएंगे। किसान परिवार के बच्चों को नौकरी के लिए दर-दर ठोकरें नहीं खानी पड़ेंगी और वो करोड़ों तक कमा सकते हैं। इसका एक बढ़िया उदाहरण उत्तराखंड के निर्मल सिंह तोमर हैं। इन्होंने नौकरी को ना चुनकर अपने पिता के काम को आगे बढ़ाया। इनके पिता खेती बाड़ी और नर्सरी का काम करते रहे। उन्हीं को देखकर निर्मल ने नर्सरी का पूरा काम सीख ही लिया, तो सोचा क्यों ना इसी को अपना पेशा बनाया जाए। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के साथ इस काम को किया और अब करोड़ों का टर्नओवर कर रहे हैं। आइए आपको इनकी पूरी कहानी बताते हैं।

कब हुई शुरुआत?

देश की नर्सरीनिर्मल सिंह तोमर आज जिस नर्सरी से मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, उसकी शुरुआत साल 2003 में हुई थी। निर्मल नर्सरी को देहरादून के हरबर्टपुर में आधे बीघे से शुरू किया गया था। तब बहुत मामूली सी कमाई होती थी। लेकिन धीरे-धीरे इसे बढ़ाया गया और आज ये 10 एकड़ में फैल गई है। इस नर्सरी से पूरे देश में पौधे जाते हैं। बड़ी संख्या में लोग यहां से पौधे ले जाते हैं। निर्मल की ये नर्सरी भले ही पहाड़ी इलाके में है लेकिन वो ऐसी वैराइटी विकसित करते हैं जो मैदानी इलाके में आराम से उग जाए। इसके अलावा यहां ऐसे पौधे हैं जो आराम से 40 से 45 डिग्री सेल्सियम का तापमान सह सकते हैं। निर्मल नर्सरी के पौधे देश ही नहीं बल्कि दुबई और नेपाल में भी जा चुके हैं।

किसानों को मिलती है फ्री ट्रेनिंग

किसानों को मिलती है फ्री ट्रेनिंगकोई भी किसान अगर निर्मल की नर्सरी में आता है तो वो यहां से डबल फायदा लेकर जाता है। किसान संवाद टीवी से बात करते हुए निर्मल ने बताया कि वो किसान को पौधा बाद में देते हैं। पहले उसकी पूरी जानकारी देते हैं। क्योंकि तरह-तरह की वैराइटी इनके पास है और किसानों को हर पौधे की वैराइटी के बारे में पता नहीं होता और उन्हें ये नहीं पता होता कि इससे कैसे ज्यादा से ज्यादा फल लिए जा सकते हैं। ये पहली नर्सरी है जो पौधे देने के साथ-साथ उसकी बारे में पूरी जानकारी और ट्रेनिंग भी देती है।

कुछ लोग अगर वैसे भी निर्मल से ट्रेनिंग लेने आते हैं, वो बागवानी की पूरी ट्रेनिंग फ्री में देते हैं। इस वक्त निर्मल के साथ देशभर से करीब 10 हजार किसान जुड़े हुए हैं। उन्होंने अपनी पूरी विश्वसनीयता बनाकर रखी हुई है। निर्मल बताते हैं कि उनसे जो पौधा लेकर जाता है, वो कभी निराश नहीं होता। उसे अच्छी क्वालिटी के पौधे अच्छे दाम पर दिए जाते हैं। अगर कोई दशहरी आम ले गया है तो उसे वही बढ़िया क्वालिटी के साथ मिलेगा।

विलुप्त वैराइटीज को बचा रहे

यहां आज की तारीख में करीब 1000 से ज्यादा फल के पौधों की वैराइटी है। यहां आपको आम, अमरूद, अखरोट, आलूबोखारा, संतरा, चीकू, बादाम, आड़ू, नींबू जैसे बहुत से पौधे देखने को मिल जाएंगे। यहां शायद ही कोई ऐसा फल होगा जो आपको देखने को ना मिले। दिल्ली से लेकर लखनऊ और बैंगलोर तक जहां भी नई वैराइटी डेवलप की जाती है, निर्मल उसे भी अपने नर्सरी में लेकर आते हैं और उसे मल्टीप्लाई करते हैं। निर्मल ने बताया कि आम-नासपाती समेत बहुत से फलों की कुछ ऐसी वैराइटीज हैं जो लुप्त होती जा रही हैं, वो उन्हें भी बचाने का काम कर रहे हैं।

1 पेड़ में 176 वैराइटी के आम

विलुप्त वैराइटीज को बचा रहेनिर्मल ने बताया कि उनकी नर्सरी में वो सिर्फ ट्रेनिंग ही नहीं देते बल्कि उनके यहां रिसर्च का काम भी होता रहता है। उनकी नर्सरी में उन्होंने एक पेड़ ऐसा भी तैयार किया है जिसमें 176 प्रकार के आम लगे हुए हैं।

नौकरी से बेहतर है ये काम

निर्मल कहते हैं, ”अगर मैं नौकरी कर रहा होता तो मेरी पहचान बस एक ऑफिस तक ही रहती। लेकिन इन पेड़ पौधों ने जो पहचान दी है, उसके लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है। मुझे इस नर्सरी की वजह से कई अवॉर्ड्स मिले हैं लेकिन मेरे अवॉर्ड तो ये पेड़ पौधे ही हैं।” नर्सरी के काम को चुनकर निर्मल से अपने माता-पिता का फ्यूचर सिक्योर कर लिया है। वो बताते हैं कि इस काम की वजह से उन्हें नौकरी के लिए घर से दूर भी नहीं जाना पड़ा। वो अपने माता पिता का भी अच्छे से ख्याल रखते हैं और आसपास के लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

कमाई और दिक्कतें

निर्मल का देहरादून की नर्सरी से टर्नओवर 1 करोड़ से ऊपर का है। हाल ही में उन्होंने यूपी में भी एक और नर्सरी विकसित की है, जो की जल्द ही शुरू हो जाएगी। उन्होंने यूपी में नर्सरी इसलिए भी शुरू की क्योंकि उन्हें अपनी हाल की नर्सरी में कुछ दिक्कतें भी आ रही थीं। जैसा कि मिट्टी खनन नहीं किया जा सकता, जबकि उन्हें मिट्टी की जरूरत होती है। जो कि यूपी की नर्सरी से अब पूरी हो जाएगी। दूसरा जब उन्होंने नर्सरी शुरू की तो उन्हें मैनपावर की भी दिक्कतें आई थीं। 10 एकड़ की नर्सरी को चलाना इतना आसान नहीं होता। दिक्कतें आती रहती हैं लेकिन निर्मल सभी चीजों का निपटारा कर ही लेते हैं।

किसान की समस्या करते हैं दूर

किसान की समस्या करते हैं दूरनिर्मल सिंह तोमर कहते हैं कि किसान अपनी समस्या का समाधन उनसे आधी रात को भी ले सकते हैं। वो किसानों के लिए हमेशा खड़े रहते हैं। वो Whats App पर आसानी से समस्या दूर कर देते हैं। उन्होंने बताया कि अगर किसी किसान को कुछ जानकारी चाहिए या उनका पौधा ठीक नहीं है और उसे स्वस्थ करना है तो किसान उन्हें Whats App पर फोटो भेजें और वो उन्हें समाधान बता देंगे। फिलहाल वो ऐसा करते भी हैं। बहुत से लोग उन्हें कॉल करके अपनी परेशानी बताते हैं। निर्मल कहते हैं कि कोई भी उन्हें पौधों से संबंधित परेशानियों के लिए 9456502033 नंबर पर कॉल या Whats App कर सकता है।

निर्मल बताते हैं कि उनकी नर्सरी पर तो एक बोर्ड भी नहीं था। वो खुद से कोई प्रचार-प्रसार नहीं करते थे। एक बार जो किसान उनसे पौधे ले गया, वो ही दूसरो को बताता था और किसान लौट लौटकर उनके पास आते गए। अब जाकर उन्होंने अपनी नर्सरी का बोर्ड बनवाया है। किसान उन्हें ऐसे ही जानते हैं और लोग उनके नाम से दूर-दूर से पौधे लेने उनके पास चले आते हैं। निर्मल आगे भी ऐसे ही अपनी नर्सरी को अलग-अलग और बढ़िया वैराइटी के पौधों से लेस रखेंगे और किसानों की हमेशा की तरह मदद करते रहेंगे। ताकि उनकी फसल की पैदावार ज्यादा से ज्यादा हो और किसान भाई बाजार में अच्छा मुनाफा कमा पाएं।

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