खेत मे ही सड़ने लगे थे केले, किसान ने बिस्किट बनाकर खड़ा किया करोड़ो का व्यापार

किसान हमेशा ही अपनी फसलों को सीधे खेत में बेचते हैं। हालांकि ऐसा करने पर किसानों को अकसर बढ़िया मुनाफा नहीं मिल पाता। कई बार तो फसलें इतनी खराब हो जाती हैं कि वो उसका कुछ हिस्सा ही बेक पाते हैं। इसके पीछे कई कारण होते हैं जैसे कि मंडी दूर होती है या ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं होती। इन सब दिक्कतों को देखते हुए जलगांव, महाराष्ट्र के किसान अशोक प्रभाकर ने एक तरकीब निकाली और अपने केले के खेती को बिजनेस में बदल डाला और आज लाखों में मुनाफा कमा रहे हैं। केले के चिप्स और केले से बनने वाली सब्जी के बारे में तो आपने सुना होगा और खाया भी होगा लेकिन अशोक प्रभाकर केले से इतने प्रोडक्ट्स बना रहे हैं जिनके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। हेल्दी बिस्क्टि्स के तौर पर आपने मिलेट्स बिस्किट तो खूब देखें होंगे लेकिन यहां उन्होंने अपने बिजनेस को खड़ा करते हुए केले के सबसे हेल्दी बिस्किट्स का इजात कर दिया। जिसे उन्होंने पेटेंट भी करवाया है। आइए विस्तार से उनकी इस प्रेरक कहानी को जानते हैं। 

40% केले हो जाते थे खराब

बिस्किट व्यापार73 साल के किसान अशोक प्रभाकर ने किसान संवाद टीवी से बात करते हुए बताया कि पूरे जलगांव में करीब 50 हजार हेक्टेयर में केले की खेती होती है। उनके खुद के भी करीब 4 हेक्टेयर की खेती में 25 हजार केले के पेड़ लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि केले की खेती में पहले उनका करीब 40% केला खराब हो जाता था क्योंकि ये एक पेरिशेबल चीज है। जबकि उनका कहना है कि केले में अन्य फलों की तुलना में विटामिन, मिनरल ज्यादा पाए जाते हैं। सिर्फ उनके ही नहीं बल्कि आसपास के किसानों के केले भी खराब हो जाया करते थे।

केले से बनाए प्रोडक्ट

केले से बनाए प्रोडक्टआशोक प्रभाकर ने सोचा कि ऐसे तो काम नहीं चलेगा। उन्होंने फिर थोड़ा रिसर्च किया तो पता चला कि केले का बाय प्रोडक्ट बनाना ठीक रहेगा। साल 2010 में एक्सपेरीमिंट किया तो उन्हें सफलता मिली। इसके बाद उन्होंने केले का लड्डू, केले का आटा, केले के जैम, टॉफी, पापड़, ऐसी ऐसी चीजें बनाईं और संकल्प इंटरप्राइजेज नाम से एक प्रोसेसिंग यूनिट शुरू कर दी। इस यूनिट से वो पूरे महाराष्ट्र में अपने प्रोडक्ट्स बेचने लगे। 

पेटेंट कराए बिस्किट

पेटेंट कराए बिस्किट

केले के तरह-तरह के प्रोडक्ट बनाते हुए अशोक जी की पत्नी कुसुम ने उन्हें केले के प्रोडक्ट बनाने का आइडिया दिया। इस पर भी उन्होंने काम किया और 2015 में केले के बिस्किट बनाने शुरू किए। ये बहुत ही अलग तरह के बिस्किट हैं। इनमें वो कोई कलर या कैमिकल का इस्तेमाल नहीं करते। इनका स्वाद भी काफी अलग है और ये ग्लूटन फ्री हैं। उन्होंने साल 2023 में अपने इन बिस्किट्स का पेटेंट भी करा लिया है। अब उनके ये बिस्किट काफी चर्चा में भी रहते हैं। 

ऑर्गनिक केलों से बनते हैं प्रोडक्ट

ऑर्गनिक केलों से बनते हैं प्रोडक्टअशोक प्रभाकर जितने भी प्रोडक्ट बनाते हैं, उनकी खास बात ये है कि ये सभी ऑर्गनिक केलों से बने होते हैं। वो खुद तो केले उगाते हैं और अपने आसपास के किसानों को भी उन्होंने जोड़ा हुआ है। करीब 50 किसान प्रभाकर जी के साथ जुड़े हुए हैं। वो इन किसानों से केले लेते हैं और अपनी प्रोसेसिंग यूनिट में उनके प्रोडक्ट्स बनाते हैं। इससे आसपास के किसानों के जो 40% केले खराब हो जाया करते थे, वो भी नहीं होते।

कमाई और रोजगार

कमाई की बात करें तो अशोक प्रभाकर ने बताया कि उनका एवरेज महीने में 3 से 4 लाख का समान बिक जाता है। इसके लिए वो करीब 3-4 टन केले का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि वो 20 किलो केले से 5 किलो के प्रोडक्ट बनाते हैं। बाकी डिमांड की हिसाब से प्रोडक्ट बनाते हैं। उनके प्रोडक्ट महाराष्ट्र सहित बेंगलुरु, इंदौर और कलकत्ता जैसे शहरों में बिकते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी प्रोसेसिंग यूनिट में करीब 10 महिलाओं को रोजगार भी दिया है। जो कि प्रोडक्ट बनाने में उनकी मदद करती हैं। 

कहां से ले सकते हैं ये प्रोडक्ट

अशोक जी अभी अपने प्रोडक्ट्स को ऑफलाइन ही बेचते हैं। हालांकि अगर आप घर बैठे उनके ये प्रोडक्ट मंगाना चाहते हैं तो आप उन्हें 9960302650 पर कॉल कर सकते हैं। वो आपको कोरियर या पार्सल के जरिए प्रोडक्ट्स भेज देंगे। 

अशोक प्रभाकर बचपन से ही किसान रहे हैं। उन्होंने किसानों की दशा को समझा है और इसलिए वो इस तरह के कारगर तरीके निकाल पाए। जबकि अशोक जी ने एजुकेशन में एलएलबी किया था। पर वो अपने को पहले किसान ही मानते हैं। वो आज भी केले के अलावा बाकी सब्जियां और फल उगाते हैं। वो कपास, पपीता, मौसमी जैसे फसलें भी उगाते रहते हैं। आज अशोक प्रभाकर जैसे ही किसानों की जरूरत है जो खुद तो कुछ इनोवेशन करे हीं, साथ ही आसपास के किसानों को भी उनसे लाभ हो। अब आप देख ही लीजिए कि कैसे उन्होंने पहले खराब हो रहे केले को बचाया। उसकी प्रोडक्ट बनाए। इससे आसपास के खराब हो रहे केलों की भी उन्हें कीमत मिली। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं को रोजगार भी दिया।

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