खेती बाड़ी अब घाटे का सौदा नहीं रहा है। सिर्फ सरकार ने ही इस पर ध्यान नहीं दिया है बल्कि तमाम लोग और खासकर से युवा भी इसमें जुड़े हैं। अब जब खेती पर इतना ध्यान दिया जा रहा है तो इसे ज्यादा से ज्यादा उन्नत बनाने पर भी लोगों का ध्यान जा रहा है। इसलिए अब तेजी से नेचुरल फार्मिंग या कहें कि ऑर्गनिक खेती का तेजी से विस्तार हो रहा है। बड़े पैमाने पर किसान भाई ऑर्गनिक खेती से जुड़े हैं। आज हम आपको इन्हीं में से एक किसान सलाउद्दीन की कहानी बताने जा रहे हैं। जिन्होंने ठान लिया है कि वो खान पान के जरिए बीमारियों को दूर भगाएंगे। इसलिए वो पिछले 3-4 सालों से सिर्फ और सिर्फ नेचुरल खेती कर रहे हैं।
सलाउद्दीन का कहना है कि हम रोजाना के खानपीन से ही खुद बीमारियां बढ़ा रहे हैं। वो कहते हैं, ”जो हम लोग खाना खाते हैं उसमें यूरिया, डीएपी, पोटाश, सल्फेट की वजह से लोग बीमार पड़ रहे हैं। उन्हें बड़ी-बड़ी बीमारी हो रही है। जैसे कैंसर हो गया, डायबिटीज हो गया, बीपी हो गया तो यह लाइलाज बीमारी है और इसका कोई और कारण नहीं सिर्फ खानपान है और खान पान हमारा अच्छा हो सकता है तो हमारी बीमारी भी अच्छी हो सकती है।”
किन चीजों की करते हैं फार्मिंग
पटना जिला के रहने वाले सलाउद्दीन करीब 20 एकड़ में फार्मिंग करते हैं। यहां वो सबसे ज्यादा केला और अमरूद उगाते हैं। इसके अलावा उनके पास सहजन, कटहल और मशरूम की फसल भी है। उन्होंने इसमें मुर्गीपालन भी किया हुआ है। सलाउद्दीन ने किसान संवाद टीवी से बात करते हुए कहा, ”सबसे ज्यादा हमारा केला है जो जी9 वैरायटी है। हम लोग बिहार में छठ धूमधाम से मनाते हैं। बिहार में उसी टाइम को देखते हुए हम अपना जी9 यहां लगाए हैं, जो बहुत अच्छा है। दूसरा हमारे पास है ग्रीन एप्पल और ग्रीन एप्पल में भी दो वैरायटी है। रेड एप्पल है और ग्रीन एप्पल है।”
ये सिर्फ केले की वैराइटी नहीं बल्कि अमरूद की भी तीन वैराइटी लगाते हैं। इनमें ताइवान पिंक, रेड डायमंड और सुपर किरण है। सलाउद्दीन कटहल और मुर्गापालन कर ही रहे थे कि उन्हें सरकार द्वारा मशरूम की खेती के लिए भी साथ मिला तो अब उनके फार्म में मशरूम भी है।
पूरी नैचुरल खेती
सलाउद्दीन पूरी तरह से नैचुरल खेती करते हैं। वो जानवरों के गोबर से बना हुआ खाद डालते हैं। खुद का वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हैं। उनका कहना है कि इससे ना सिर्फ फलों में पोषक तत्व बढ़ते हैं बल्की वो टेस्टी भी हो जाता है वरना आजकल मार्केट में आने वाले फलों में वो टेस्ट रह ही नहीं गया है जो पहले हुआ करता था।
उन्होंने बताया, ”देखिए अभी रोगों की रोकथाम करने के लिए हम खुद का अपना पेस्टिसाइड बना रहे हैं। पहले जैसे हम लोग नीम की पत्ती अभी लिए हैं। दूसरा चीज है जो हम बिहारी भाषा में कन्हौली बोलते हैं, उसको लेते हैं। उसके बाद में जो हम लोग तंबाकू बोलते हैं, तो इस तरह से हम छह सात तरह से क्रॉप ड्रम में डाल देते हैं और उसको डालने के बाद एक सप्ताह तक उसको उसी में छोड़ देते हैं और फिर छानकर और उसको हम छिड़काव करते हैं। जिससे बहुत ज्यादा फायदा मिलता है। इसको हमने जीवन अमृत नाम दिया है।”
ऑर्गनिक फलों की है खूब डिमांड
सलाउद्दीन के फलों की काफी डिमांड इसलिए भी है क्योंकि अलग अलग वैराइटी के स्वादिष्ट फल मिलते हैं और ये ऑर्गनिक होते हैं। उन्होंने बताया, ”पटना शहर के बगल में हैं तो हमारा माल पटना जाता है, बाजार समिति में जाता है और मॉल में भी जाता है। बहुत ऐसे लोग हैं जो कि हमारे फार्म पर भी आ रहे हैं और 5 किलो-10 किलो फल लेकर जाते हैं। बाजार समिति से इतना माल का ऑर्डर आता है कि हम दे नहीं पाते।”
रोकना चाहते हैं पलायन
सलाउद्दीन ने परमानेंट पांच लोगों को रोजगार दिया है। जिसमें चार जेंट्स है और एक लेडीज हैं। इसके अलावा उनके पास बीच-बीच में 15-20 लोग काम करने आते रहते हैं। वो बताते हैं, ”सबसे अच्छी बात है कि हमारे यहां जो लेबर है, जो बाहर जाते थे काम करने। आज हम यहां अपने फार्म पर एक पार्टनरशिप बनाकर लोगों की हेल्प कर रहे हैं और हमारे साथ एक मजदूर नहीं है। एक मालिक की हैसियत से भी रहते हैं और हम लोग मिलकर यहां काम कर रहे हैं।”
ऑर्गनिक खेती करते हुए सलाउद्दीन को 3 से 4 साल हुआ है और इनका सालाना टर्नओवर 10 से 15 लाख शुरू हो गया है। वहीं ये अपने फार्म में तकनीक को भी बढ़ावा देना शुरू किए हैं। इन्होंने अपने फॉर्म में 50% प्रतिशत ड्रिप सिंचाई लगवा दी है और बाकी बची जगह में भी काम जारी है। सलाउद्दीन की कोशिश है कि वो आगे चलकर 100 एकड़ में अपने ऑर्गनिक फार्मिंग का विस्तार करें। घर परिवार के लोगों ने उन्हें जमीन दी है और वो कॉन्ट्रैक्ट पर भी आगे जमीन लेकर ज्यादा फार्मिंग करने का प्लान कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि ऑर्गनिक खेती कोई घाटे का सौदा नहीं है। बल्कि वो कहते हैं कि जिन लोगों के पास जमीने हैं वो जरूर नेचुरल खेती करें। जो लोग रिटायर हो गए हैं और खेती का थोड़ा बहुत भी शौक रखते हैं तो उन्हें ये काम जरूर करना चाहिए। इससे उन्हें एक बढ़िया साइड इनकम और बेहतरीन स्वादिष्ट और पौष्टिक फसल मिलेगी।
सलाउद्दीन के काम में उनके दोस्त सिद्धनाथ यादव भी उनका साथ दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि कैसे सलाउद्दीन ने उन्हें अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताया और ये उनके दिल को छू गया और वो भी उनके साथ हो लिए। सिद्धनाथ ने कहा, ”हमारे मित्र हैं सलाउद्दीन जी जो इस फार्म का इजाद किए शुरुआत किए। उन्होंने कहा कि मिलजुल कर इसको और डेवलप किया जाए। अच्छा किया जाए। चलिए विजिट करते हैं। आकर के देखे। बहुत अच्छा लगा। सबों के हित की बात है।”
उन्होंने आगे कहा, ”आज बहुत तरह की बीमारियां फैल रही है तो ऑर्गेनिक खेती शुरुआत की। माने बहुत बढ़िया काम है। बहुत बढ़िया पहल है इसमें। सरकार भी सहयोग करेगी, पब्लिक भी करेगी और लोग जो है बीमारी से निजात पाएंगे। ऑर्गेनिक चीज लोगों को मिलेगी। अभी तक तो आसपास के इलाकों में नहीं मिल रही थी। इन्होंने शुरुआत की है तो अब मिलना शुरू होगी। लोग लाइन लगाकर आते हैं लेने और बाजार भी भेजा जाता है। दूर दूर तक इन्होंने भेजना शुरू कर दिया है। और यहां भी लोग खरीदने आते हैं।”
अगर आप भी सलाउद्दीन के जैसे ऑर्गनिक खेती करना चाहते हैं तो आप डायरेक्ट भी उनसे संपर्क कर सकते हैं। या उनसे उनके ऑर्गनिक फल लेना चाहते हैं आत उन्हें 7250262815 पर कॉल कर सकते हैं।