चंद घंटे में खेत होगा तैयार
रिंग–पिट विधि से गन्ना बुवाई किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. रिंग–पिट गन्ना बुवाई पद्धति को गड्ढा विधि भी कहा जाता है. देश में गन्ने की खेती से लाभ कमाने वाले किसानों को फसल से जुड़ी हर तकनीक का अगर पता होगा तो उन्हें उत्पादन भी अधिक मिलेगा. उत्तरप्रदेश के पीलीभीत जनपद से लगभग 65 किलोमीटर दूर पूरनपुर तहसील के गाँव दुर्जनपुर कला के रहने वाले किसान गुरिंदर सिंह ने कबाड़ से जुगाड़ बना दिया आज वह यंत्र किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है गुरिंदर सिंह बताते हैं यह यंत्र मैंने पिछले 2 साल पहले तैयार किया था तब मैंने सिंगल पिट मशीन तैयार की थी जो पूरी तरीके से कारागार नहीं हुई काफी दिक्कतें हुई लेकिन हमने इस यंत्र का पीछा नहीं छोड़ा कुछ महीनों बाद फिर हमने इस यंत्र पर काम किया और डबल पिट तैयार करा दिया आज हम पीलीभीत जनपद के अंदर ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के अकेले किसान थे जो सबसे पहले रिंग पिट मशीन तैयार की थी । वह आगे बताते हैं कि जब हम कृषि विज्ञान केंद्र पीलीभीत गए थे वहां पर वैज्ञानिकों द्वारा रिंग पिट मैथेड का जिक्र किया जा रहा था, जिस से काफी उत्पादन लेने की बात कही जा रही थी । उसके बाद हमने अपने खेत मे रिंग पिट मैथेड अपनाया और उस समय हम फावफड़े से रिंग तैयार करते थे, जिसमे काफी समय लगता था, और हमारी लागत भी ज्यादा आ रही थी, जब हमारी गन्ने की फसल तैयार हुई तो पिछली साल से ज्यादा उत्पादन मुनाफा हुआ हमने ठान लिया था कि हम इस विधि से ही खेती को आगे बढ़ेंगे । एक दिन हमारे गांव में बिजली के पोल लग रहे थे उस मशीन को देखकर हमे आइडिया मिल गया कि हम इस मशीन को अपने खेतों में रिंग बनाने के लिए भी कम कर सकते है । पीलीभीत गए और वहां पर कुछ पार्ट इकट्ठे किए उस पर हमने यह तैयार किया कुछ काम तो किया लेकिन इतना कारागार नहीं था उसमें भी हमें समय लग रहा था क्योंकि वह एक ही रिंग पिट तैयार करता था । उसके बाद हमने इसे डबल कर दिया एक साथ अब दो रिंग पीट तैयार हो जाते है जिस से आसानी से हमारा काम हो रहा है और खर्चा भी बहुत कम आ रहा हैं ।
1 एकड़ में मात्र 4 घण्टो में ही पूरा हो जाता है रिंग
गुरिंदर सिंह बताते हैं कि पहले हमें 1 एकड़ में लगभग 3 से 4 दिन
लग जाया करते थे जिससे हमारी लेबर का खर्च भी ज्यादा हो रहा था। और अब 1 एकड़ को मात्र 4 घंटे में पूरा कर लेते हैं उसमें हमारा केवल डीजल का ही खर्च आता है। जिससे हमारा सारा खर्च बच रहा है 1 एकड़ में लगभग 2 हजार रिंग पिट तैयार हो जाते हैं जिस से हमारी फसल लहलहाती हुई दिखती हैं । और यहाँ तक कि उत्पादन भी ज्यादा हो रहा हैं।
इस यंत्र को बनाने में हमारे 2 लाख 10 हजार रुपए का खर्च आया था
गुरिंदर सिंह बताते हैं कि जब हमने रिंग पिट मशीन तैयार की थी तो पहले सिंगल रिंग तैयार करने वाली यंत्र को बनाया था जो पूरी तरह से कारगर साबित नहीं हो पाया उसमें करीब 1 लाख रुपए का खर्च आया था अब हमने डबल रिंग पिट मशीन तैयार कर ली है जिसमें हमारी लागत लगभग 2 लाख 10 हजार रुपए करीब आई थीं। अब इस यंत्र को गांव के आसपास के इलाके के लोग देखने के लिए आते हैं और वह भी प्रोत्साहित और रहे हैं ।
खेत में गड्ढे तैयार करना
इस रिंग–पिट विधि में किसानों को खेत की जुताई करने की भी आवश्यकता नहीं होती है. जी हाँ, इसमें सबसे पहले रिंग–पिट मशीन से खेत में गड्ढे तैयार किये जाते है. इस दौरान एक गड्ढे से दूसरे गड्ढे की केन्द्र से केन्द्र की दूरी लगभग 120 सेंटीमीटर होती है. साथ ही हर एक गड्ढ़ा 90 सेंटीमीटर व्यास का होता है. एक हेक्टेयर में 2 हज़ार से भी ज़्यादा गड्ढे तैयार किये जा सकते हैं. गड्ढों की गहराई लगभग 30 से 40 सेंटीमीटर होनी चाहिए.
रिंग–पिट मेथड से सहफसली में ले रहे है अतिरिक्त उत्पादन
गुरिन्दर सिंह किसान बताते हैं कि हम रिंग – पीट मैथेड से खेती कर रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी बात यह भी है कि हम उस फसल में सहफसली खेती भी कर रहे हैं । जिसमें दलहन तिलहन, मसूर, और चना की खेती अतिरिक्त पैमाने पर कर रहे हैं जिससे हमारा खर्च अच्छा चल रहा है और हमारे गन्ने की फसल में भी ज्यादा उत्पादन हो जाता है।
एक एकड़ में 1200 किवंतल गन्ने का उत्पादन
गुरिन्दर सिंग ने बताया कि आम किसान ज्यादा से ज्यादा एक एकड़ में 400 से अधिक गन्ने का उत्पादन नही ले पाता अगर उसकी फसल मजबूत है , लेकिन रिंग पिट मैथेड ऐसा है कि खर्चा थोड़ा ज्यादा आता है लेकिन उत्पादन सबसे ज्यादा होता हैं जिसमे अधिक मुनाफा पाया जा सकता है।
कृप्या प्रतिक्रिया दें
+1
1
+1
1
+1
+1
+1
+1
+1