उत्तराखंड में बड़ी इलायची की खेती: मयंक भट्ट की सफलता की कहानी

इलायची की खेती –भारत में मसालों की खेती से जुड़ी संभावनाएं निरंतर बढ़ रही हैं। विशेष रूप से बड़ी इलायची की खेती किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले से मयंक भट्ट, एक युवा किसान, ने बड़ी इलायची की खेती में नई ऊंचाइयों को छुआ है। उनकी यात्रा न केवल कृषि के क्षेत्र में सफल है, बल्कि यह पलायन और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से लड़ने का एक सशक्त उदाहरण भी है।

उत्तराखंड में बड़ी इलायची की खेती: मयंक भट्ट की सफलता की कहानी

बड़ी इलायची की खेती का बढ़ता रुझान

बड़ी इलायची, जो विशेष रूप से मसालों में उपयोग की जाती है, भारत के मसाला बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय परिवारों में मसालों की उच्च मांग के चलते, इलायची की खेती किसानों के लिए मुनाफा देने वाला व्यवसाय बनता जा रहा है। मयंक भट्ट ने उत्तराखंड की जलवायु और ज़मीन को ध्यान में रखते हुए बड़ी इलायची की खेती की शुरुआत की, जो अब उनकी आय का प्रमुख स्रोत है।

Read More: कौन हैं पद्मश्री कमला पुजारी, जिनके निधन पर दुखी हुए पीएम, राष्ट्रपति और सीएम

मयंक भट्ट: दो पौधों से शुरू हुई सफल यात्रा

मयंक भट्ट ने अपने पिता द्वारा लाए गए दो पौधों से इलायची की खेती की शुरुआत की थी। उन्होंने धीरे-धीरे खेती का विस्तार किया और आज उनके पास 10,000 से अधिक इलायची के पौधे हैं। मयंक ने बताया, “शुरुआत में हमारे पास सिर्फ़ चार से पांच किलो का उत्पादन था, लेकिन अब हम 40 किलो इलायची का उत्पादन कर रहे हैं।” उनकी सफलता ने उन्हें अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बना दिया है।

बड़ी इलायची की खेती कैसे शुरू करें?

यदि आप भी बड़ी इलायची की खेती में रुचि रखते हैं, तो आपको पौध लगाने का सही समय और तकनीक जाननी होगी। मयंक भट्ट के अनुसार, इलायची की खेती के लिए अक्टूबर से नवंबर का समय सबसे उपयुक्त होता है।

इलायची को लगाने के लिए नमी वाली मिट्टी और छायादार स्थान सबसे उपयुक्त होते हैं। इलायची के बीज से पौध तैयार करने में तीन से चार साल का समय लगता है, जबकि नर्सरी से पौधे लाने पर उत्पादन दो से तीन साल में शुरू हो जाता है।

Read More: अंजीर की खेती से पढ़ाई करते हुए कमा रहे हैं साढ़े 3 करोड़ रुपये, स्टूडेंट्स के रोल मॉडल बने आशुतोष

बड़ी इलायची की देखभाल और उत्पादन प्रक्रिया

इलायची का पौधा लगभग नौ से दस फीट तक बढ़ता है। इसके पौधे के जड़ों में इलायची लगती है। मयंक बताते हैं कि पौधों के बीच दो से तीन मीटर की दूरी रखनी चाहिए ताकि पौधे पूरी तरह से फैल सकें और अधिक उत्पादन दे सकें। इलायची की सिंचाई गर्मियों में हर हफ्ते और सर्दियों में 15-20 दिन के अंतराल पर की जाती है। उत्पादन की बात करें तो एक पौधे से लगभग 400 से 500 ग्राम इलायची प्राप्त होती है।

सर्दियों और गर्मियों में इलायची की सिंचाई

इलायची की खेती में नमी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गर्मियों में पौधों को हफ्ते-दस दिन में एक बार सिंचाई की आवश्यकता होती है, जबकि सर्दियों में 15 से 20 दिनों के अंतराल पर पानी देना उचित होता है। इलायची की जड़ों की नमी को बनाए रखना उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है।

Read More: 100 से ज्यादा तालाब बनवा चुके हैं पॉन्डमैन रामवीर तंवर, बताया इनसे कैसे दूर होगी पानी की किल्लत

इलायची की फसल में आने वाली समस्याएं और उनके समाधान

इलायची की खेती में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। मयंक बताते हैं कि एक समस्या स्टेंप बोरोवर नामक कीट से होती है, जो पौधे की तनों में छेद कर देता है। इसके समाधान के लिए नीम तेल का स्प्रे किया जा सकता है। हालांकि, सामान्यतया इलायची एक कम रोगग्रस्त फसल मानी जाती है। नियमित देखभाल और सही प्रबंधन से समस्याओं को आसानी से दूर किया जा सकता है।

उत्तराखंड में बड़ी इलायची की खेती: मयंक भट्ट की सफलता की कहानी

बाजार में बड़ी इलायची की कीमत और बिक्री

बड़ी इलायची की बिक्री बाजार में मुनाफे का सौदा साबित होती है। मयंक भट्ट अपनी इलायची को बाजार में 550 से 600 रुपये प्रति किलो की दर से बेचते हैं। तुड़ाई के बाद इलायची को लगभग 20 से 25 दिन धूप में सुखाया जाता है, जिससे उसकी गुणवत्ता बनी रहती है और बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।

इलायची की बिक्री ने मयंक की आर्थिक स्थिति को काफी मजबूत किया है और उन्हें एक सफल किसान के रूप में स्थापित किया है।

Read More: ये किसान अमेजन पर बेचता है अपना ऑर्गनिक काला नमक धान, बताया कैसे होती है लाखों की कमाई

अन्य फसलों के साथ विविध कृषि गतिविधियाँ

बड़ी इलायची की खेती के अलावा, मयंक भट्ट अन्य कृषि गतिविधियों में भी शामिल हैं। वे अखरोट, माल्टा, संतरा, मछली पालन और मुर्गी पालन भी करते हैं। उनका मानना है कि विविध कृषि गतिविधियाँ न केवल आय के स्रोत को बढ़ाती हैं, बल्कि स्थिरता भी प्रदान करती हैं।

उनका यह प्रयास उत्तराखंड के अन्य किसानों के लिए एक उदाहरण है कि कैसे वे भी अपनी ज़मीन का सही उपयोग करके कृषि में सफलता पा सकते हैं।

निष्कर्ष

मयंक भट्ट की बड़ी इलायची की खेती की कहानी उन सभी किसानों के लिए प्रेरणास्रोत है जो अपनी ज़मीन और संसाधनों का सही उपयोग करके लाभकारी कृषि करना चाहते हैं। पलायन और बेरोजगारी जैसी समस्याओं के बीच मयंक ने अपनी मेहनत और दृढ़संकल्प से यह सिद्ध किया कि उत्तराखंड में भी रोजगार के अवसर मौजूद हैं।

यदि आप भी इलायची की खेती करना चाहते हैं, तो सही समय, उचित देखभाल और तकनीक से आप भी अपनी सफलता की कहानी लिख सकते हैं।

Read more: परवल की खेती- सिर्फ हजारों में खर्चा और लाखों में कमाई, ऐसे परवल उगाता है ये युवा किसान

कृप्या प्रतिक्रिया दें
+1
4
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
Scroll to Top

विषय