कृषि में ड्रोन का उपयोग, बना देगा आपको हाईटेक किसान

अपने देश में किसान अब खेती के लिए तकनीकों का सहारा लेने से पीछे नहीं हट रहे हैं। नए नए बीज विकसित किए जा रहे हैं और ऐसे कृषि उपकरण बन रहे हैं जो किसानों की जिंदगी आसान बना रहे हैं और उनकी आय भी बढ़ा रहे हैं। इन्हीं में से एक तकनीक ड्रोन की भी है जिसका इस्तेमाल धीरे धीरे भारत में खेती के लिए बढ़ रहा है। किसानों को ड्रोन पायलेट बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि स्मार्ट फार्मिंग की जा सके।

वैसे तो खनन, सेना और औद्योगिक क्षेत्रों में तो काफी पहले से ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन कृषि में ड्रोन का उपयोग भारत के लिए नया है। ड्रोन एक मानवरहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicle – UAV) है। पहली बार सन 2000 में, जापानी कंपनी यामाहा ने दुनिया का पहला कृषि ड्रोन बनाया था और इसका नाम क्र-50 था। इसके जरिए फसल मानचित्रण और क्षेत्र विश्लेषण होता था। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स केम मुताबिक कृषि ड्रोन का बाजार 2020 तक 1.2 अरब डॉलर हो गया और उम्मीद की जा रही है कि 2025 तक कृषि ड्रोन का बाजार 6 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। 

भारत में ड्रोन का इस्तेमाल कई चीजों के लिए किया जा रहा है। इसके जरिए खेतों में कीटनाशक छिड़का जाता है, खेतों के हालात देखे जाते हैं और सिंचाई भी की जाती है। फसल और मिट्टी के स्वास्थ्य का ड्रोन के जरिए पता लगाया जाता है क्योंकि इससे डेटा मिल जाता है।

कृषि में कितना उपयोगी है ड्रोन?

कृषि में कितना उपयोगी है ड्रोन?

उर्वरकों को छिड़काव: खेतों में कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव कृषि ड्रोन के जरिए आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए किसी को खेत में अंदर जाने की जरूरत नहीं होती है। छिड़काव के लिए इसमें कंटेनर होते हैं जिनका साइज ड्रोन के प्रकार पर निर्भर करता है। 

श्रम लागत में कमी: ड्रोन के उपयोग से श्रमिकों की संख्या घट जाती है। जहां ड्रोन के इस्तेमाल से काम हो जाता है तो वहां श्रमिकों की जरूरत नहीं पड़ती है। इससे श्रम लागत में कमी आती है। 

मृदा और फसल के स्वास्थ्य की जांच: कृषि ड्रोन से इंफ्रारेड मैपिंग होती है जिसके जरिए मृदा और फसल दोनों की जांच की जा सकती है। इससे आपकी फसल और मिट्टी दोनों स्वास्थ्य बने रहेंगे।

रसायनों के अधिक उपयोग से बचत: चूंकि आपको ड्रोन के जरिए डेटा मिला जाता है तो आपको पता चल जाएगा कि कौन से एरिया में ज्यादा या कम छिड़काव की जरूरत है। 

मौसम की खबर: ड्रोन का उपयोग काफी पहले से मौसम का पता लगाने के लिए किया जाता रहा है और खेती बाड़ी में मौसम की जानकारी बहुत जरूरी होती है। हमारे देश में अधिकतर खेती मौसम के अनुसार ही होती है। ड्रोन से आप मौसम की चेतावनी प्राप्त कर सकते हैं।

फसल की निगरानी: हमारे देश में बहुत बड़ी जोत वाले किसान भी हैं। जो खुद जाकर पूरे खेत का मुआयना नहीं कर सकते क्योंकि इसमें काफी समय लग जाता है। इसलिए ड्रोन के जरिए उन्हें हाई रिजॉल्यूशन वाली फोटोज और बाकी डेटा मिल जाता है। जिससे फसलों की जानकारी मिल जाती है।

फसल पैदावर में वृद्धि: जब फसल और मिट्टी दोनों का ही इतनी ख्याल रखा जाएगा तो जाहिर है फसल में बढ़ोतरी होगी। किसान सही समय पर फसल का उपचार कर पाएंगे और अच्छी फसल हासिल करेंगे।

रखरखाव में आसान: कृषि ड्रोन रखरखाव में काफी मजबूत होता है। इसमें न्यूनतम रखरखाव की जरूरत होती है। 

कहां से लें ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग?

कहां से लें ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग?

कृषि ड्रोन उड़ाने के लिए किसानों को इसका प्रशिक्षण लेना होगा। जिसके बाद ड्रोन उड़ाने का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। किसानों/कृषि विज्ञान छात्रों और अन्य युवाओं को ड्रोन उड़ाने के लिए सरकार समय समय पर फ्री ट्रेनिंग देती है। ये ट्रेनिंग राज्य के कृषि विश्वविद्यालय और अप्रूव्ड ड्रोन प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से दी जाती है। ड्रोन उड़ाने के लिए कुछ नियामक भी तैयार किए गए हैं। 1 दिसंबर, 2018 से भारत में  ड्रोन पॉलिसी लागू हुई थी। इसमें कुछ एसओपी तैयार की गई थीं। जैसे कि 18 साल से कम उम्र का कोई व्यक्ति ड्रोन नहीं उड़ा सकता। इन सबकी जानकारी ट्रेनिंग के दौरान दे दी जाएगी।

ड्रोन पर सब्सिडी

ड्रोन पर सब्सिडी

फिलहाल पीएम ड्रोन दीदी योजना चल रही है जिसके 15 हजार महिला समूहों को ड्रोन दिया जाएगा। ये सब्सिडी के साथ मिलेगा। ड्रोन खरीदने के लिए 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपए तक की धनराशि दी जाएगी। बता दें कि एक कृषि ड्रोन की कीमत 5 से 10 लाख रुपए तक है। कीमत इसके फीचर के हिसाब से कम या ज्यादा है। इसके साथ ड्रोन की शेष राशि पर  महिलाओं को सीएलएफ नेशनल एग्रीकल्चर इंफ्रा फाइनेंसिंग फैसिलिटी से कर्ज की सुविधा भी जाएगी। इसमें सरकार की तरफ से 3 प्रतिशत ब्याज पर सब्सिडी भी मिलेगी।

ड्रोन की चुनौतियां:

ड्रोन की चुनौतियां:

ज्ञान का अभाव: आज भले ही किसान खेती तो जी-तोड़ मेहनत के साथ कर रहे हैं लेकिन उनमें अभी भी ज्ञान का अभाव है जिससे की वो ड्रोन जैसी तकनीकों के बारे में नहीं जानते या वो जानकर भी इसे अपनाने से कतराते हैं।

लागत: ड्रोन की कीमत लाखों में है और जरूरी नहीं की सबको सब्सिडी मिल ही जाए। इसलिए किसान के सामने ड्रोन तकनीक को अपनाने में वित्तीय संकट हो सकता है।

नियामक दिक्कतें: जैसा कि उपरोक्त हमने बताया कि ड्रोन उड़ाने के लिए कुछ नियम हैं। कुछ कुछ जगहों पर तो ड्रोन बैन भी किए जाते हैं, और उनकी कुछ शर्ते होती हैं। इसलिए हो सकता है कि कुछ जगहों पर ड्रोन नियामक दिक्कतों के चलते कारगर ना हो।हालांकि ड्रोन की भले ही अपनी सीमाएं हैं लेकिन इसके फायदे अनेक हैं और अगर इसके जरिए खेती करने का अवसर मिलता है तो किसानों को इसे जरूर अपनाना चाहिए। युवा किसान तकनीक को अपनाकर आजकल ज्यादा खेती बाड़ी कर रहे हैं। इसलिए अगर वो कृषि ड्रोन के जरिए स्मार्ट फार्मिंग करते हैं तो जाहिर है इससे कृषि उद्योग का चेहरा जरूर बदलेगा।

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