सहजन की खेती से किसान कर सकते है मोटी कमाई , 1 एकड़ से 6 लाख तक मिलेगा मुनाफा

खेती किसानी में पिछले कुछ सालों में सहजन की खेती का चलन बढ़ा है। किसान इसकी खेती के जरिए लाखों की कमाई कर सकते हैं। सहजन को सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। इसके सिर्फ फल की ही सब्जी नहीं बनाई जाती है बल्कि इसके पूरे पेड़ का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी छाल, पत्ती, बीज, गोंद और जड़ आदि सभी काम में आते हैं। सहजन की खेती में लागत भी काम कम है और ये अच्छा मुनाफा भी दे जाता है। एक एकड़ खेती में किसान सालाना 6 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं। ये छोटी पत्तियों वाला पेड़ सालभर किसानों के लिए फायदेमंद रहता है।

पूरे भारत में सहजन का इस्तेमाल किया जाता है। उत्तर भारत में जहां किसान इसके फल का इस्तेमाल सब्जी बनाने में करते हैं तो वहीं दक्षिण भारत के लोग भी सहजन के फूलों, फल, पत्तियों का इस्तेमाल कर अलग अलग प्रकार की सब्जियां बनाते हैं। भारत में ही नहीं ये फसल मैक्सिको, मलेशिया, फिलीपींस और श्रीलंका जैसे देशों में भी लोकप्रिय है। सहजन है ही इतना गुणकारी की इससे तमाम प्रकार की बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। खाने के स्वाद से लेकर आपकी हेल्थ तक, सहजन बहुत लाभकारी होता है। आइए इस पेड़ के फायदे से लेकर इसकी खेती करने के तरीके और मुनाफे के बारे में जानते हैं।

सहजन की खासियत
सहजन एक खाद्य पौधा होने के साथ साथ आयुर्वेद के गुणों वाला पौधा माना जाता है। इस पौधे के फायदे अनेक हैं। इस पौधे से 300 से ज्यादा बीमारियों का इलाज किया जाता है। इसमें औषधीय गुण होते है और इससे आर्युवेदिक दवाएं बनाई जाती है। सहजन में मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रट, वसा, प्रोटीन, पानी, विटामिन, कैल्शियम, लोहतत्व, मैगनीशियम, मैगनीज जैसे तत्व होते हैं। इतना ही नहीं इसमें 90 तरह के मल्टीविटामिन्स, 45 तरह के एंटी आक्सीडेंट, 35 तरह के दर्द निवारक गुण और 17 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं।

सहजन के बीज से तेल निकालने के साथ ही बीज को उबालकर सुखाने के बाद इसका पाउडर भी तैयार किया जाता है। ये मानव त्वचा पर काफी असरदार साबित होता है। वहीं देश में कई ऐसी कंपनियां हैं जो सहजन से पाउडर, कैप्सूल और तेल आदि जैसी दवाओं को बनाकर विदेशों में निर्यात करते हैं और इससे इन कंपनियों को भी अच्छा फायदा होता है। सहजन का इस्तेमाल अन्य चीजों को बनाने में भी किया जाता है। जैसे इस पौधे से गूदा निकालकर कपड़ा और कागज जैसी कई चीजें बनाई जाती हैं।

काफी कम लागत वाला है सहजन का पौधा
सहजन के पौधे की सबसे अच्छी बात ये है कि इसका रखरखाव और लागत बहुत ही मामूली है। इसकी देखरेख की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। ये कम सिंचाईं और कम उपजाऊ वाले क्षेत्र में आसानी से हराभरा रह सकता है। इसे बंजर मिट्टी पर भी उगाया जा सकता है। इसके लिए बहुत जमीन की जरूरत नहीं पड़ती है। आप इसे घर के पीछे भी आराम से उगा सकते हैं। गांव ही नहीं शहरों में भी ये पेड़ अकसर घरों के आसपास दिख जाता है। इसे एक छोटे से गार्डन में भी लोग लगा लेते हैं और फिर इसके फल की सब्जी बड़े चाव से खाते हैं।

बारिश और बाढ़ से भी नहीं होता नुकसान
हालांकि सहजन के लिए अगर उपयुक्त जलवायु और मिट्टी की बात करें तो सहजन का पौधा 25 से 30 डिग्री के औसत तापमान में अच्छा उत्पादन देता है। इस पर भारी बारिश या कम पानी का असर नहीं होता। इसलिए इस फसल के लिए आपको बारिश पर भी निर्भर नहीं रहना होगा। इसको बाढ़ से भी कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन सर्दियों में इसके फलों पर पाले का असर पड़ता है। वहीं इसके फूल गर्मियों में 40 डिग्री के ऊपर झड़ जाते हैं। मिट्टी की बात करें तो इसके लिए पी.एच मान 6 से 7.5 तक की मिट्टी काफी बढ़िया मानी जाती है। आप बलुई दोमट मिट्टी का उपयोग इसकी उन्नत खेती के लिए कर सकते हैं। वैसे तो सहजन का पेड़ कहीं भी लग जाता है लेकिन अगर आप इसकी खेती करके अच्छे पैसे कमाना चाहते हैं तो फिर आपको ऐसी मिट्टी का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

जानिए सहजन की अच्छी किस्मों के बारे में
सहजन एक बहुवर्षीय फसल है। आप इसकी बढ़िया किस्मों को लगकर अच्छी पैदावर प्राप्त कर सकते हैं। पी.के.एम.1, पी.के.एम.2, कोयंबटूर 1 और कोयंबटूर 2 सहजन की उन्नत किस्में मानी जाती हैं। इनसे आप साल में दो बार अच्छी फसल ले सकते हैं। सहजन का पेड़ वैसे 4 से 5 साल तक अच्छे फल देता है।

पौधे लगाने की विधि
पौधे लगाने की विधि के बारे में बात करें तो नर्सरी में सहजन की पौध तैयार करें। ये एक महीने में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर की खेती के लिए आधा किलो सहजन के बीज काफी होंगे। सहजन की रोपाई के पहले खेत में गहरा हल चलाएं। भूमि को एक से दो गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बनाएं और फिर उसे समतल कर दें। खेत तैयार होने के बाद में 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंटीमीटर तक गहरे गड्डों को तैयार कर लें। इसमें सहजन की रोपाई जुलाई से सितंबर के बीच करें। ये सबसे अच्छा वक्त माना जाता है। वहीं जब पौधा 75 सेंटीमीटर का हो जाये तो पौध के ऊपरी भाग की कटाई कर दें ताकि बगलों से शाखाएं निकलने लगें। इससे सहजन का पौधा गुच्छेदार बनेगा और आगे चलकर इसमें ज्यादा फल आएंगे।

रोपाई के 3 महीने के बाद 100 ग्राम यूरिया, 100 ग्राम सुपर फास्फेट, 50 ग्राम पोटाश प्रति गड्ढा की दर से डालें। इसके और तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया प्रति गड्ढा दोबारा डालें। अगर आप सहजन की जैविक खेती करना चाहते हैं तो 15 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति गड्ढा तथा एजोसपिरिलम और पी.एस.बी. (5 किलोग्राम/हेक्टेयर) डालें।

होता है बढ़िया मुनाफा
सहजन का पेड़ 4 से 5 सालों तक फसल देता है। सहजन से आप साल भर कमाई कर सकते हैं क्योंकि सिर्फ इसके फल ही नहीं बल्कि फल, फूल एवं पत्तियां भी बेची जाती हैं। अगर किसान अच्छे से इसकी खेती करे तो एक हेक्टेयर जमीन में 6 लाख रुपये तक का फायदा हो सकता है। सहजन के फल में रेशा आने से पहले इसकी तुड़ाई कर लें। इससे इसकी मांग बाजार में ज्यादा होती है। जिन पेड़ों में दो बार फल होते हैं, उनकी तुड़ाई फरवरी से मार्च और सितम्बर से अक्तूबर में होती है। इस तरह से आप सहजन के ना सिर्फ फल से बल्कि पूरे पेड़ से अच्छी कमाई कर सकते हैं।

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