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बैंक मैनेजर की नौकरी छोड़ चंदन की फार्मिंग कर रहे बिजनौर के आरपी सिंह, CCTV से होती है निगरानी

आर्मी और बैंक में रह चुके बिजनौर के आरपी सिंह अब चंदन की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसमें किसानों को किस तरह से बढ़िया फायदा हो सकता है और कैसे इसकी शुरुआत की जा सकती है। क्योंकि साल 2017 के बाद किसान इसे अपनी निजी जमीन पर भी उगा सकता है। जबकि पहले ऐसा नहीं था।

Rohit Maurya by Rohit Maurya
June 3, 2024
in प्रगतिशील किसान
बैंक मैनेजर की नौकरी छोड़ चंदन की फार्मिंग कर रहे बिजनौर के आरपी सिंह, CCTV से होती है निगरानी

किसान धीरे-धीरे खेतीबाड़ी में अलग-अलग प्रयोग करते हुए अपनी आय बढ़ा रहे है। कोई तकनीक का सहारा ले रहा है तो कोई फसल विविधिकरण अपना रहा है। कोई अनार की खेती कर रहा है तो कोई शिमला मिर्च से ही लाखों की कमाई कर रहा है। वहीं बिजनौर के आरपी सिंह ने चंदन फार्मिंग की राह पकड़ी है। वैसे तो साल 2017 से पहले किसान अपनी निजी जमीन पर चंदन की फार्मिंग नहीं कर सकते थे। लेकिन जैसे ही भारत सरकार ने इस पर से प्रतिबंध हटाया तो वैसे ही आरपी सिंह ने इस अवसर को तुरंत फायदा उठाया। किसान निजी जमीन पर चंदन की खेती कर सकते हैं लेकिन इसे सरकार ही एक्सपोर्ट कर सकती है।

आरपी सिंह ने 29 साल बैंक में नौकरी की। इससे पहले वो छह साल तक आर्मी में भी रहे। लेकिन साल 2018 में उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ने का मन बनाया और वीआरएस ले लिया। जबकि वो साल 2023 में रिटायर होने वाले थे। आरपी सिंह का कहना है कि खेती बाड़ी उनके लिए हॉबी जैसा है। उन्होंने ऑर्गनिक खेती के साथ फिर अपनी जमीन पर चंदन की फार्मिंग शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि वीआरएस इसलिए भी ले लिया था क्योंकि 60 की उम्र के बाद एज फैक्टर तो होता है और नया काम करने के लिए उन्होंने सोचा कि थोड़ा जल्दी शुरू किया जाए।

कहां से आया चंदन लगाने का ख्याल?
आरपी सिंह ने बताया, ”एक बार मैं अपने बैंक के सेमीनार में बैंगलोर गया था। ये ऑल इंडिया सेमीनार थी और मैं बैंक की यूनियन से भी जुड़ा रहा। मैं करीब साल 2010-11 में गया था। लेकिन उस वक्त चंदन प्राइवेट बैंक पर बैन था। वहां मेरे कर्नाटक के दोस्त थे, जो आर्मी में मेरे साथ थे। उसने बातचीत हुई।” इसके अलावा आरपी Institute of Wood Scienece Technology (IWST) से जुड़े हुए थे और इनकी ऑनलाइन वेबीनार भी अटैंड करते थे। तभी से रुझान हो गया था कि चंदन लगाने हैं और IWST से उन्हें ये पता चला कि कैसे क्या करना है। यहां से उन्हें बढ़िया गाइडेंस मिल गई।

आरपी सिंह ने 7000 स्क्वायर यार्ड पर अपने करीब 300 चंदन के पेड़ लगाए हुए हैं। शुरुआत में कुछ दिक्कतें आईं। कुछ पेड़ रिप्लेस करने पड़े। क्योंकि नया नया काम था तो इतनी जानकारी नहीं थी। लेकिन हां अब ये पेड़ बड़े हो गए हैं। इनकी उम्र करीब 5 साल हो गई है और इनकी लंबाई करीब 20-25 फीट हाइट हो गई है।

सीसीटीवी से लैस चंदन फार्म
एक चंदन के पेड़ से बढ़िया मुनाफा कमाने के लिए उसे करीब 15 से 17 साल रखना पड़ता है। उसके बाद हार्वेस्टिंग कर सकते हैं। तब उसके बढ़िया पैसे मिलते हैं। आरपी सिंह कहते हैं कि इस काम में पेशेंस बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि वो इसमें कैमिकल खाद नहीं डालते। सिर्फ जैविक खाद ही डालते हैं। लेकिन चंदन के पेड़ों की रखवाली भी करनी होती है। वैसे आठ साल तक इसमें खुशबू नहीं आती है। इसके बाद ही चंदन के पेड़ों में खुशबू आना शुरू होती है। इसके बाद चंदन के खेतों की फेंसिंग या बाउंड्री करा लेनी चाहिए। आरपी सिंह के पेड़ 5 साल के हुए हैं लेकिन सुरक्षादृष्टि से उन्होंने पहले ही अपने फार्म की बाउंड्री करा ली है। सीसीटीवी लगवाए हुए हैं, तीन जर्मन शेफर्ड डॉग रखे हैं। इसके अलावा एक गार्ड और एक केयरटेकर रखे हुए हैं।

चंदन की खेती करने से पहले जाने ये जरूरी बातें
चंदन के पेड़ों की फार्मिंग का एक फैक्ट बताते हुए उन्होंने कहा, ”आपके पेड़ की उम्र 2 साल हो जाए तो इसे खतौनी में दर्ज कराना पड़ता है और उसकी एक कॉपी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में जाती है। ताकि हार्वेस्टिंग के टाइम कोई दिक्कत ना आए।”

चंदन के बारे में उन्होंने बताया कि ये अकेला नहीं चलता। दो पेड़ साथ लगाने पड़ते हैं क्योंकि ये उनके साथ अपनी जड़े फंसा लेता है। फिलहाल आरपी सिंह ने कैसूरीना (Casurina) और मिलियादुबिया (Miliadubia) के साथ चंदन को लगाया है। दरअसल चंदन एक परजीवी पौधा है जो अकेले सर्वाइव नहीं कर सकता। कुछ लोगों के मन में ये सवाल जरूर आएगा कि क्या इसके साथ फल वाले पौधे नहीं लगाए जा सकते? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि शुरुआत में तो आप फल ले सकते हैं लेकिन दो साल बाद चंदन फलों वाले पौधे से एनर्जी लेता है तो फलों पर असर पड़ेगा।

चंदन पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। इसलिए इसे निचले इलाके में ना लगाएं जहां पानी का जमाव हो। वैसे तो भारत में दो प्रकार के चंदन होते हैं। एक लाल चंदन और दूसरा सफेद चंदन। उत्तर भारत की मिट्टी के हिसाब से यहां सफेद चंदन लगाया जाता है।

आगे चंदन की खेती करने पर सुझाव देते हुए आरपी सिंह कहते हैं कि अगर किसी में पेशेंस है और वो सक्षम हैं तो चंदन की खेती जरूर करनी चाहिए। थोड़ी बहुत भी जमीन है तो ये लगाएं। क्योंकि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कहती है लेकिन कुछ कोशिश तो किसानों को भी करनी होगी।

किसानों के लिए बंपर कमाई का जरिया
आरपी सिंह ने बताया कि आज की तारीख में एक स्वस्थ चंदन का पेड़ है तो उसके एक किलो हार्डवुड की कीमत 20 से 26 हजार रुपये है। वहीं 15 साल के एक पेड़ में 18 से 20 किलो हार्डवुड मिल सकती है।

वहीं आरपी सिंह ऑर्गानिक खेती पर जोर देते हैं और वो आने वाली पीढ़ी से भी अपील करते हैं कि वो भी इस ऑर्गनिक चीजों पर जोर दें। उनका मानना है कि धरती को हम माता कहते हैं लेकिन रासायनिक पेस्टीसाइड डालकर हम अपनी माता को जहर देते हैं।

वहीं वापस चंदन की बात की जाए तो चंदन का इस्तेमाल सबसे ज्यादा परफ्यूम और ब्यूटी प्रोडक्ट्स में किया जाता है और आयुर्वेद में भी चंदन का खूब इस्तेमाल होता है। तो वहीं अगर किसान चंदन की खेती करते हैं तो उन्हें इसमें मुनाफा मिलना तय है। बस कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जो कि आरपी सिंह जैसे चंदन उगाने वाले किसान बता ही चुके हैं। अपनी जमीन की बाउंड्री करवानी है। होस्ट पेड़ लगाना है और उसके बाद पेशेंस के साथ इन पेड़ों का ख्याल रखना है और जितना ज्यादा इसकी खेती करेंगे। उतना फायदा आपको मिलेगा।

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