Tuesday, October 15, 2024
Homeबात कमाई कीमशरूम की खेती कैसे की जाती है

मशरूम की खेती कैसे की जाती है

मशरूम की खेती एक उभरता हुआ व्यवसाय है, जो किसानों और उद्यमियों के लिए एक बढ़िया आय का साधन बन रहा है। मशरूम की खेती ना केवल मुनाफे का एक बेहतर विकल्प है, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे कम जगह, समय और संसाधनों में भी शुरू किया जा सकता है। मशरूम की खेती को आप व्यावसायिक या व्यक्तिगत उपयोग के लिए कर सकते हैं। मशरूम की खेती का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे खेत की बजाय किसी भी इनडोर स्थान पर भी किया जा सकता है, जैसे कि शेड, कमरा या गोदाम। इस लेख में हम मशरूम की खेती के विभिन्न चरणों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

1. मशरूम की खेती के लिए अनुकूल वातावरण

मशरूम की खेती के लिए सही वातावरण का होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। मशरूम एक प्रकार का कवक होता है, जिसे बढ़ने के लिए नमी और अंधकार की आवश्यकता होती है। इसके लिए तापमान और नमी का सही स्तर बनाए रखना आवश्यक है। सामान्यत: मशरूम की खेती के लिए 20 से 28 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे अनुकूल माना जाता है। इसके अलावा, नमी का स्तर 80 से 90 प्रतिशत तक होना चाहिए। अगर तापमान या नमी का स्तर अधिक या कम होता है, तो इससे मशरूम की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

2. मशरूम की खेती के प्रकार

मशरूम की कई प्रजातियां होती हैं, लेकिन खेती के लिए मुख्यत: तीन प्रकार के मशरूम उगाए जाते हैं:

बटन मशरूम (Agaricus bisporus): यह सबसे आम प्रकार का मशरूम है, जो बाजार में बहुत लोकप्रिय है। इसका उपयोग सलाद, सूप और विभिन्न प्रकार की डिशेस में किया जाता है।

ऑयस्टर मशरूम (Pleurotus spp.): इसे हिंदी में ढिंगरी मशरूम कहा जाता है। इसकी खेती कम लागत में हो सकती है और इसे उगाना भी आसान है।

शिटाके मशरूम (Lentinula edodes): यह प्रजाति खासतौर से एशियाई देशों में उगाई जाती है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।

Read More: धान की खेती: नुकसान से बचने के लिए कटाई से लेकर बिक्री तक रखें इन बातों का ध्यान

3. बीज का चयन और उसकी तैयारी

मशरूम की खेती में बीज का चयन एक महत्वपूर्ण चरण होता है। मशरूम के बीज को स्पॉन कहा जाता है। स्पॉन दो प्रकार के होते हैं:

गेहूं स्पॉन: इसे गेहूं के दाने पर उगाया जाता है। यह बीज सस्ता और आसानी से उपलब्ध होता है।

दाना स्पॉन: इसे भूसे, धान के पुआल या लकड़ी के बुरादे पर उगाया जाता है। इसकी गुणवत्ता उच्च होती है, लेकिन इसकी लागत अधिक होती है।

स्पॉन को मशरूम उत्पादन केंद्रों से खरीदा जा सकता है। बीज की सही गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि बीज की गुणवत्ता मशरूम की उपज को सीधे प्रभावित करती है।

4. सब्सट्रेट की तैयारी

मशरूम की खेती में सब्सट्रेट (substrate) का बहुत महत्व होता है। यह वह माध्यम होता है जिसमें मशरूम का विकास होता है। सब्सट्रेट के रूप में गेहूं का भूसा, धान का पुआल, लकड़ी का बुरादा, कॉफी के कचरे आदि का उपयोग किया जाता है। सब्सट्रेट की तैयारी का तरीका निम्नलिखित है:

सब्सट्रेट की सफाई: सबसे पहले सब्सट्रेट को साफ करें ताकि उसमें कोई हानिकारक तत्व न हो।

सब्सट्रेट को भिगोना: सब्सट्रेट को पानी में भिगोकर नमी प्राप्त कराई जाती है। इसे 24 घंटे तक भिगोया जाता है।

पास्चराइजेशन: भिगोए गए सब्सट्रेट को गर्म पानी में उबालकर पास्चराइज किया जाता है, जिससे उसमें उपस्थित बैक्टीरिया और फंगस नष्ट हो जाते हैं।

5. बुवाई की प्रक्रिया

मशरूम की बुवाई का समय और प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है। जब सब्सट्रेट तैयार हो जाता है, तो उसमें स्पॉन मिलाया जाता है। इसे बुवाई कहा जाता है। बुवाई के बाद, सब्सट्रेट को प्लास्टिक बैग, टब या अन्य कंटेनरों में रखकर बंद कर दिया जाता है। इसे 20 से 25 दिनों तक अंधेरे और नमी वाले स्थान में रखा जाता है। इस दौरान मशरूम का माइसीलियम (mycelium) विकसित होता है, जो कि मशरूम की जड़ होती है। माइसीलियम पूरी तरह से विकसित हो जाने के बाद ही मशरूम का उत्पादन शुरू होता है।

Read More: सोयाबीन की खेती: लाभदायक और टिकाऊ व्यवसाय

6. फलने-फूलने की प्रक्रिया

जब माइसीलियम पूरी तरह से विकसित हो जाता है, तब फलने की प्रक्रिया शुरू होती है। इस समय कंटेनर को रोशनी और ताजी हवा की आवश्यकता होती है। फलने की प्रक्रिया के दौरान आपको तापमान, नमी और हवा के संचलन का विशेष ध्यान रखना होता है। करीब 7 से 10 दिनों के भीतर छोटे-छोटे मशरूम दिखने लगते हैं, जो बाद में बड़े आकार के हो जाते हैं।

7. कटाई और बिक्री

मशरूम की कटाई का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। अगर मशरूम को समय पर नहीं काटा गया, तो वह अपनी गुणवत्ता खो सकता है और उसका आकार भी बड़ सकता है। कटाई के लिए मशरूम को धीरे से पकड़कर उसकी तने से मोड़कर अलग किया जाता है। एक बार कटाई के बाद, मशरूम को ताजगी बनाए रखने के लिए ठंडे स्थान पर संग्रहित किया जाता है।

बिक्री के लिए मशरूम को स्थानीय बाजारों, सुपरमार्केट या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भेजा जा सकता है। ताजे मशरूम की बिक्री की समयसीमा कम होती है, इसलिए इन्हें जल्दी से जल्दी बेच देना आवश्यक होता है।

8. मशरूम की खेती के लाभ

कम जगह की आवश्यकता: मशरूम की खेती के लिए ज्यादा जगह की आवश्यकता नहीं होती है। इसे छोटे स्थानों पर भी उगाया जा सकता है।

कम समय में अधिक उत्पादन: मशरूम की खेती में फसल का उत्पादन जल्दी होता है। सामान्यत: 25 से 30 दिनों में फसल तैयार हो जाती है।

उच्च मांग: मशरूम की मांग बाजार में बहुत अधिक है। इसे कई प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किया जाता है, साथ ही इसके स्वास्थ्य लाभों के कारण भी इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।

स्वास्थ्य के लिए लाभकारी: मशरूम प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर होता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। इसमें वसा की मात्रा कम होती है और यह एंटीऑक्सीडेंट से भी समृद्ध होता है।

9. मशरूम की खेती में चुनौतियां

माइसीलियम की वृद्धि में कठिनाई: अगर सही तापमान और नमी नहीं मिलती है, तो माइसीलियम की वृद्धि धीमी हो सकती है।

रोग और संक्रमण: मशरूम की खेती में फंगस और बैक्टीरिया का संक्रमण एक बड़ी समस्या होती है। इसके लिए स्वच्छता और साफ-सफाई का ध्यान रखना आवश्यक है।

प्रशिक्षण की आवश्यकता: मशरूम की खेती को सही तरीके से करने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसके बिना नुकसान की संभावना बनी रहती है।

200 एकड़ में मखाने की खेती | #bihar के सबसे बड़े किसान की कहानी | #viral #youtube

निष्कर्ष

मशरूम की खेती एक सरल और लाभकारी व्यवसाय है, लेकिन इसे सही तकनीक और देखभाल के साथ करना आवश्यक है। इसके लिए प्रशिक्षण और अनुभव दोनों महत्वपूर्ण होते हैं। अगर आप सही विधि और उचित देखभाल के साथ मशरूम की खेती करते हैं, तो यह एक अत्यधिक लाभकारी व्यवसाय बन सकता है। मशरूम की बढ़ती मांग और इसके स्वास्थ्य लाभों को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में इसकी खेती और भी अधिक लोकप्रिय होगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments