तपती गर्मी से ऐसे बचाएं अपनी फसल और पशु, इन कारगर तरीकों से मिलेगी राहत

इन दिनों गर्मी रोजाना नए रिकॉर्ड बना रही है। इस साल का तो अप्रैल भी काफी गर्म रहा था। इससे पहले इस तरह अप्रैल का रिकॉर्ड 2016 में टूटा था। वहीं मई में 48 डिग्री का तापमान तो उत्तर भारत में तमाम जगहों पर देखने को मिल रहा है। इस गर्मी से लोगों के काफी बुरे हाल हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब में जमकर लू चल रही है। तपती गर्मी के चलते किसानों की फसलों और पशुओं पर भी इसका खूब असर देखने को मिल रहा है। बागवानी करने वाले किसानों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। तो चलिए आपको बताते हैं कि इस गर्मी में किसान किस तरह से अपनी फसलों और पशुओं का ध्यान रख सकते हैं।

फसलों से कम उत्पादन

लू और तेज धूप के कारण पत्तियां जल जाती हैं और सूख भी सकती हैं। जिससे पौधों का विकास रुक सकता है और वो कमजोर हो सकते हैं। इसका सीधा मतलब है कि फसलों से आपको कम उत्पादन मिलेगा। बागवानी पर भी ऐसा ही असर होता है। इस गर्मी में फल और फूल भी उभर नहीं पाते हैं। कभी कभी कम उत्पादन छोड़िए फसलें ही नष्ट हो जाती है। अगर गर्मियों में इस मौसम में होने वाली खेती भी करते हैं तो बीज गर्मी की वजह से अंकुरित नहीं हो पाते। गर्मी के कारण सूखा पड़ता है तो मिट्टी का उपजाऊपना भी खत्म हो जाता है।

फसलों को गर्मी से कैसे बचाएं

गर्मियों में अकसर हमें खरबूजा, खीरा, ककड़ी, धनियां, अदरक, हल्दी और ओल जैसी फसलें देखने को मिलती है। वहीं बागों में आम जामुन भी लग होते हैं। वहीं कुछ लोग मूंग जैसी दलहन फसलें भी लगाते हैं। लेकिन इन सब पर गर्मियों का असर देखने को मिलता है। इसके लिए किसान खेतों में नमी बनाए रखें। सिंचाई में बिल्कुल कमी ना करें। लेकिन हां सीधी धूप में सिंचाई ना करें। सिंचाई भी सुबह और शाम ही करें। गर्मी में पानी कि समस्या एक बड़ी समस्या बन जाती है। इसलिए अगर हो सके तो ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करें जिससे पानी की बचत भी होगी।

किसान फसलों को फसल अवशेष जैसे पुवाल या पॉलीथीन से ढक सकते हैं। कुछ दूरी पर मेड़ों पर वृक्षारोपण भी कर देना चाहिए जिससे प्राकृतिक छायां मिले। अगर किसान पॉलीहाउस में खीरे जैसी फसलों की खेती कर रहे हैं तो फोगर जरूर चलाएं। जैविक खाद का प्रयोग करें, ताकि इनसे गर्मियों में होने वाले रोगों से छुटकारा मिल सके। वहीं किसान फसलों में किसी भी अन्य उपचार के लिए नजदीकी कृषि केंद्र से सहायता ले सकते हैं।

मल्चिंग विधि से किसान अपनी फसलों को हीटवेव से बचा सकते हैं। ये तरीका भी कारगर माना जाता है और बहुत से किसान इसे अपनाते हैं। इस विधि में प्लास्टिक सीट से पौधे के जड़ों को ढक दिया जाता है। इसके अलावा आप अगर कद्दू जैसी सब्जी तैयार करते हैं, तो इन्हें बांस के मचान चढ़ाया जाता है और गर्मियों में इनके ऊपर की फसलों को ढक दें। वरना आपकी फसल खराब होने के पूरे चांस रहेंगे।

किसान बाढ़ बंधा पद्धति को भी अपना सकते हैं। इसमें ग्रीन नेट का उपयोग किया जाता है। अगर ये न हो तो खराब सूती साड़ियां का उपयोग फसलों को बचाने के लिए हो सकता है। आप ग्रीन नेट या साड़ी से खेत को कवर कर सकते हैं। इन तरीकों से किसान भाई अपनी फसलों को प्रचंड गर्मी से बचा सकते हैं।

पशुओं में गर्मी से होती है ये दिक्कत

पशुओं में गर्मी से होती है ये दिक्कत

तापमान बढ़ोतरी के कारण मवेशियों में लू लगना आम बात हो जाती है। गर्मी लगने पर पशुओं में उनके चमड़े का रंग बदलने लगता है। गाय, भैंस या बकरी जो भी हों, उनके मुंह से झाग निकलता है तो वहीं आंख के सफेद हिस्से लाल होने लगते हैं। इसके अलावा पशुओं में आंख से पानी और नाक से खून निकलता है। यहां तक कि वो खाना पीना भी कम करर देते हैं। इस झुलसती गर्मी में पशुओं में ये लक्षण अकसर नजर आ जाते हैं और अगर उन्हें हीट स्ट्रोक लग गया तो उनकी मौत भी हो सकती है। इसलिए इन लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज ना करें।

ऐसे करें उपाय

पशुओं में अगर ये लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत उपचार शुरू करें। गाय या भैंस को ठंडे पानी से नहलाएं। उनके सिर और नाक पर बर्फ का टुकड़ा रखें। अगर आराम नहीं मिलता है तो नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से जरूर संपर्क करें। इसके अलावा वैसे भी पशुओं को गर्मी में राहत देने के लिए अपनी ओर से ये उपाय जरूर कर लें। पशुशाला में खस या जूट की बोरी लगाएं और उसे गीला कर दें। इससे अगर गर्म हवा भी चलती है तो वो हवा ठंडी होकर पशुओं तक पहुंचेगी। पशुओं को सिर्फ छांव में रखें। उन पर सीधी धूप ना आए। इस बात का पूरा पूरा ध्यान रखें।

उन्हें घुटन वाली जगहों पर बिल्कुल ना रखें। उन्हें रखने की जगह पर खुल जगह हो और हवा लगती रहे। पशुओं को पानी की कमी बिल्कुल ना होने दें। समय समय पर पानी पिलाते रहें। वहीं उनकी खुराक का भी ध्यान रखें। जिससे उनका हाजमा ठीक रहे। पशुओं को गर्मी में हरे चारे की जरूरत होती है। अगर हरा चारा उपलब्ध नहीं है तो पशुओं को अनाज या दालों का फीड दें। ताकि पशुओं के शरीर में किसी भी पोशक तत्व की कमी न रहे। अगर आप पशुओं का बराबर ध्यान रखते हैं तो दुग्ध उत्पादन भी बरकरार रहेगा।

पशुओं को गर्मी के मौसम में अगर पशुशाला से निकाला भी है और उन्हें टहलाना है तो सिर्फ सुबह शाम ही निकालें। उन्हें धूप में बिल्कुल ना बांधें। पशुशाला को भी ठंडा बनाए रखें। भैंसों को तो तालाबों, नदियों या अन्य जल निकायों में घंटों तक लेटने के लिए छोड़ देना चाहिए। इसी तरह अन्य पशुओं को भी आप नहला सकते हैं। इससे उन्हें बहुत राहत मिलती है। कई किसानों को तो पशुशाला में कूलर लगाते हुए भी देखा गया है। लेकिन ये किसान के सामर्थ्य पर निर्भर करता है। पशुशाला को ठंडा रखने के लिए आजकल फोग्गर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। फोग्गर से ओस के जैसे पानी निकलता है और इससे पशुशाला ठंडी बनी रहती है।

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