पशुपालन से कैसे बढ़ेगा मुनाफा, इन तरीकों को अपनाकर करे कमाई ।

भारत में पशुपालन एक फायदे का सौदा माना जाता है। कुछ लोग तो कृषि व्यवसाय के साथ पशुपालन करते हैं और कुछ सिर्फ पशुपालन करते हैं। हमारे देश में पशुपालन के तौर पर ना सिर्फ गाय भैंस पाली जाती हैं बल्कि बकरी, भेड़, सुअर, घोड़ा ऊंट और अन्य जानवरों द्वारा भी पशुपालन किया जाता है। इनमें से किसी का उपयोग मांस के लिए तो किसी का उपयोग दूध के लिए किया जाता है। किसी से ऊन मिलता है तो किसी का यातायात के साधन के तौर पर उपयोग किया जाता है। पशुपालन के एक दो नहीं बल्कि कई फायदे हैं। पशुपालन हमारे देश में काफी बड़े पैमाने पर होता है और इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन वाला देश है।

पशुपालन के फायदे

* किसान कृषि के साथ पशुपालन शुरू कर सकते हैं और इससे उनके लिए एक और आय का स्रोत तैयार हो जाता है।

* पशुओं से हमें दूध, घी, मांस, हड्डी, ऊन, खाल आदि मिलते हैं, जिनका बिजनेस करके किसान को अच्छी आय प्राप्त होती है।

* किसानों के खेत में खरपतवार और घास हो जाती है जो कि पशुओं के चारे में काम आती है।

* वहीं पशुओं के गोबर से खाद बनती है और ये पौधों के लिए काफी लाभकारी होती है।

* गोबर से ना सिर्फ खाद बल्कि कंडे और उपले बनाए जाते हैं जिन्हें लकड़ी के तौर पर चूल्हें में जलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

* बैल छोटी जोत के खेत में काफी काम आते हैं। कुछ छोटे किसान आज भी ट्रैक्टर से जुताई नहीं करवाते हैं। 

* पशु बोझा ढोने के काम आते हैं। कृषि में भी इनका काफी महत्तव है।

* मांस और दूध के लिए तो पशुओं को सबसे ज्यादा पाला जाता है।

* लोग दूध को प्रोसेस करके पनीर, खोया जैसे प्रोडक्ट बनाकर दूध से ज्यादा कमाई करते हैं।

आवश्यकता अनुसार चुनें पशुपालन

आवश्यकता अनुसार चुनें पशुपालन

पशुपालन शुरू करने से पहले हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि हमें किस चीज के लिए पशु पालने हैं क्योंकि इनकी भी कैटेगिरी है और आप टारगेट तय करके ही उन्हीं पशुओं को पालें जो आपके लिए लाभदायक हों। पशुपालन में सिर्फ डेयरी फार्मिंग ही नहीं होती बल्कि पॉल्ट्री फार्मिंग और मछली पालन भी शामिल होता है।

दूध उत्पादन: अगर आपका मकसद दूध उत्पादन है तो आप गाय-भैंस, बकरी पाल सकते हैं। वैसे दूध के लिए गाय और भैंस ही सबसे ज्यादा पाली जाती हैं। आप अच्छी खासी डेयरी फार्मिंग शुरू कर सकते हैं। इसके बाद आप दूध से दही, मक्खन और पनीर बनाकर बाजार में बेच सकते हैं जिससे अच्छा लाभ होता है।

मांस के लिए: मांस के लिए भी पशुओं को पाला जाता है जिसमें मुर्गा, बकरा और सुअर प्रमुख हैं। बताया जाता है कि देश में 65% आबादी मांसाहारी है। 

अंडे: अगर अंडा उत्पादन करना है तो पॉल्ट्री फार्मिंग में लेयर मुर्गियों का इस्तेमाल ही करें क्योंकि इन्हें सिर्फ अंडों के लिए ही रखा जाता है।

फर, ऊन व चमड़े के लिए: भेड़ों को ऊन के लिए पाला जा सकता है। वहीं चमड़ा तो पूरा जानवरों की खाल का ही होता है। 

इन बातों का रखें ख्याल

इन बातों का रखें ख्याल

पशु की नस्ल: आपको अपने पशु की बेस्ट किस्म और नस्ल ही चुननी चाहिए। अच्छा तो ये रहता है कि आप अपने वातावरण के हिसाब से ही नस्लों का चयन करें। अगर आप एक गर्म प्रदेश में रहते हैं और ठंडे प्रदेश के पशुओं को ले आएंगे तो वो सर्वाइव नहीं कर पाएंगे। अच्छे किस्म के पशु ज्यादा फायदेमंद साबित होते हैं।

पोषण वाला आहार: अगर आप अपने पशुओं से अच्छा उत्पादन चाहते हैं तो उनके चारे-पानी का खास ख्याल रखना होगा। पशु को सही मात्रा में पोषण वाला आहार ही खिलाएं। अगर पशु स्वस्थ हैं तो आपको इसका बढ़िया फायदा मिलेगा।

आवास स्वच्छ रखें: आप पशुओं को जहां रख रहे हैं वो आवास स्वच्छ रखें। ताकि किसी प्रकार की गंदगी ना हो। इससे पशुओं में बीमारी और संक्रमण होने का खतरा कम से कम रहेगा। ध्यान रहे कि पशुओं का आवास खुला हो और उसमें बराबर रोशनी आए। पशुओं को एक आवास में ठूंस कर तो बिल्कुल ना रखें।

नियमित जांच: पशुओं पर भी मौसम की मार पड़ सकती है या वो किसी अन्य बीमारी का शिकार हो सकते हैं। इसलिए नियमित रूप से आप पशुओं की जांच कराएं। अगर पशुओं में किसी भी प्रकार की बीमारी के लक्षण दिखते हैं तो फिर तुरंत उन्हें वेटेनरी डॉक्टर को दिखाएं।

सरकारी सेवाओं का लाभ उठाएं: पशुपालन के लिए लगभग सभी राज्यों में सरकारी सेवाएं और सब्सिडी मिलती रहती है। क्योंकि सरकार भी पशुपालन को बढ़ाने पर जोर देती रहती है। आप किसान हेल्प लाइन नंबर 1551 या 1800-180-1551 पर कॉल करके अधिक जानकारी ले सकते हैं।

पशुपालन में क्या आती हैं दिक्कतें? 

पशुपालन में क्या आती हैं दिक्कतें? 

पशुपालन करते वक्त सबसे ज्यादा दिक्कत संक्रमण की आती है। पशुओं में अकसर संक्रमण देखा जाता है जिसकी वजह से समय समय पर उनकी वेक्सीनेशन होनी जरूरी होती है। कई बार गांवों में वैटेनरी डॉक्टरों का भी अभाव देखने को मिलता है। पशुओं का सुबह शाम ख्याल रखना पड़ता है। उनकी पूरी देखरेख करनी पड़ती है। इसलिए अगर आप स्वयं उन्हें देखते हैं और कोई केयरटेकर नहीं है तो ऐसे में आप कहीं आ जा नहीं सकते। 

पशुओं पर परजीवी जैसे कि जू, किलनी और कुटकी की भी काफी लगती है। इसका भी खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। पशुओं को पालने के लिए जगह की भी जरूरत होती है। अगर आपके पास ज्यादा जगह नहीं है तो फिर आप एक दो गाय भैंस या बकरी वगैरह ही पाल सकते हो। डेयरी खोलने के लिए तो आपको बड़ी जगह की जरूरत पड़ती ही है। 

हालांकि ऊपर की कुछ बातों का ख्याल आप रखेंगे तो पशुपालन कम लागत में आपके लिए फायदे का सौदा ही साबित होगा। वहीं पशुपालन के प्रशिक्षण से संबंधित सरकारी केंद्र हर राज्य में होते हैं। सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए मुफ्त टीकाकरण भी करवाती है। इसलिए अगर आप मन बना लें कि आप कृषि के साथ या सीधा पशुपालन करना चाहें तो आराम से कर सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

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