“युवा किसान की कहानी: डी फार्मा के साथ कटहल की खेती से लाखों की कमाई”

कटहल की खेती – आज के युवा धीरे-धीरे फिर से कृषि की ओर लौट रहे हैं, जिससे खेती-किसानी में एक नया जोश देखने को मिल रहा है। जहां कुछ लोग इसे पार्ट टाइम कर रहे हैं, वहीं कुछ ने इसे पूरा समय देने का निर्णय लिया है। इसी में से एक नाम है कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के उपेंद्र कुशवाहा का, जो डी फार्मा की पढ़ाई के साथ-साथ कटहल की खेती कर रहे हैं। उपेंद्र ने न केवल अपनी पढ़ाई को पूरा किया, बल्कि कम लागत में कटहल की खेती से लाखों की कमाई कर रहे हैं।

कटहल की खेती

उपेंद्र की कटहल की खेती का सफर

उपेंद्र के पास 30 कटहल के पेड़ हैं, जिनसे वे सालाना अच्छा मुनाफा कमाते हैं। कटहल का उपयोग कई रूपों में होता है—कच्चा सब्जी के रूप में और पका हुआ फल खाने में। कटहल विटामिन और आयरन से भरपूर होता है, इसलिए इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है।

उन्होंने बताया कि एक कटहल का पेड़ 5 से 7 साल में फल देना शुरू कर देता है और एक पेड़ से लगभग ढाई से चार कुंटल तक फल मिल जाते हैं। एक फल का वजन 5 से 10 किलो तक होता है। इसकी लागत बेहद कम होती है और रखरखाव भी आसान है।

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कटहल की वैरायटीज: अलग-अलग किस्मों की खेती

उपेंद्र ने अपने खेत में विभिन्न प्रकार के कटहल लगाए हुए हैं, जैसे:

  • खाजवा किस्म: इसका फल अन्य किस्मों की तुलना में छोटा होता है, लेकिन इसका उत्पादन अधिक होता है। इसे आमतौर पर सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • सोनपुरी किस्म: इस किस्म के फल बड़े होते हैं, जिनका वजन 25 से 30 किलो तक होता है। हालांकि, इसमें फल कम लगते हैं लेकिन उनका आकार बड़ा होता है।

कटहल की खेती की देखभाल: आसान और सस्ती

कटहल की खेती के लिए अधिक देखरेख की आवश्यकता नहीं होती। उपेंद्र मानसून से पहले हर पेड़ के पास गोबर की खाद डालते हैं, जिससे पेड़ों को बेहतर पोषक तत्व मिलते हैं। उन्होंने बताया कि गर्मियों में खाद डालने के बाद सिंचाई करना आवश्यक है, जबकि मानसून में खाद बेहतर तरीके से मिट्टी में मिल जाती है।

इसके अलावा, उपेंद्र बताते हैं कि जब पेड़ से फल तोड़ लिए जाते हैं, तो जहां से फल तोड़े जाते हैं, वहां के पत्तों को साफ कर देना चाहिए। इससे अगले सीजन में पेड़ में अधिक और बेहतर फल आते हैं।

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कमाई का तरीका: व्यापारी खुद खरीदते हैं पेड़

उपेंद्र का कटहल मुख्य रूप से बिहार के पश्चिमी चंपारण में बिकता है, जहां बाढ़ के कारण हरी सब्जियों की कमी रहती है। वे बताते हैं कि व्यापारी उनके पेड़ों को देखकर एडवांस में ही पैसे दे देते हैं। इस तरह से एक पेड़ से उन्हें 5 से 7 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती है।

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कटहल के नीचे अन्य फसलें उगाना

कटहल की एक बड़ी खासियत यह है कि इसके नीचे अन्य फसलें भी उगाई जा सकती हैं, जिससे जमीन का बेहतर उपयोग होता है। उपेंद्र अपने खेत में पशुओं के लिए चरी और सब्जियां जैसे भिंडी, लौकी, और नेनुआ भी उगाते हैं।

कैसे शुरू करें कटहल की खेती?

जो किसान कटहल की खेती करना चाहते हैं, उनके लिए उपेंद्र ने सुझाव दिया है कि बाजार से कटहल का पौधा खरीदा जा सकता है या फिर कटहल के फल से बीज निकालकर पौधे तैयार किए जा सकते हैं। मानसून का समय पौधे लगाने के लिए सबसे उपयुक्त होता है।

फ्यूचर प्लान: और बढ़ाएंगे खेती का विस्तार

उपेंद्र का अगला कदम अपने बगीचे में और कटहल के पेड़ लगाना है, ताकि उनकी कमाई और बढ़ सके। वे दूसरे किसानों को भी प्रेरित करते हैं कि वे कम लागत वाली और लाभदायक खेती को अपनाएं और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करें।


निष्कर्ष:

उपेंद्र कुशवाहा जैसे युवा किसानों की कहानी हमें दिखाती है कि किस प्रकार आज की युवा पीढ़ी खेती के प्रति जागरूक हो रही है और इससे न केवल अच्छा मुनाफा कमा रही है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली को भी अपना रही है।

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