बागवानी में हो रही है लाखों की कमाई, लेकिन इस तरह से करें शुरुआत

बागवानी: कैसे शुरू करें और लाभ

बागवानी: कैसे शुरू करें और लाभ

कृषि उद्योग में बागवानी का बड़ा महत्व है। किसान खेती के साथ बागवानी करके अपनी आय बढ़ा रहे हैं। फल और सब्जी उत्पादन से उन्हें आय के बढ़िया विकल्प मिल जाते हैं। वहीं कुछ किसान सिर्फ बागवानी करके ही लाखों की कमाई कर रहे हैं और रोजगार भी पैदा कर रहे हैं। किसानों के लिए बागवानी काफी लाभकारी है। हालांकि इसके लिए उनके पास अगर अपनी जमीन हो तो ज्यादा अच्छा ताकि उनकी लागत कम रहे। इस काम में कमाई तो है लेकिन अगर इसे सही तरीके से किया जाए तो। क्योंकि कुछ किसान बागवानी तो करते हैं लेकिन उनकी पौदावार उतनी अच्छी नहीं होती है। किसान आंवला, बेर, बेल, केला, अमरूद, आम, अनानास, लीची और आम जैसे कई फल अपने इलाके के हिसाब से लगा सकते हैं।

बागवानी के लाभ

बागवानी के लाभ

* बागवानी से अच्छी खास कमाई संभव है।

* इसमें रखरखाव काफी कम है। एक बार ठीक से पेड़ लगाने की जरूरत होती है। 

* एक साल तक पेड़ का ज्यादा ख्याल रखना पड़ता है, उसके बाद तो बागवानी के पौधे अपनी रफ्तार खुद ही पकड़ लेते हैं।

* बड़े पेड़ों के नीचे दूसरी फसल भी लगा सकते हैं जिससे की कमाई के साधन बढ़ जाते हैं।

कैसे करें बागवानी की शुरुआत?

कैसे करें बागवानी की शुरुआत?

जिस तरह आप किसी भी सब्जी की खेती से पहले देखते हैं कि कौन सी फसल लगानी है वैसे ही सबसे पहले आपको अपना इलाका देखना है कि आपके यहां की जलवायु के हिसाब से कौन से पौधे लग सकते हैं। वहीं अगर आप एक बार मंडी का जायजा ले लें तो बेहतर रहेगा ताकि आपको पता चला जाए कि किन फलों की मांग ज्यादा है। इससे आपको फल बेचने पर अच्छे दाम मिलेंगे। 

कब लगाएं पौधे?

बागवानी के लिए अगर पौधे लगाने हैं तो इसके लिए साल में सिर्फ दो वक्त ही पौधे लगाएं। एक तो आप अगस्त-सितंबर और दूसरा फरवरी-मार्च का मौसम पौधे लगाने के लिए बेहतर होता है। हालांकि आप सेब, बादाम और अंगूर के पौधे जनवरी में भी लगा सकते हैं। 

जिस तरह हम कोई सब्जी या दलहन वगैरह की फसल लगाने से पहले मिट्टी की जांच करते हैं। उसी तरह बागवानी के लिए भी पौधे लगाने से पहले ये देख लेना चाहिए कि किस तरह की मिट्टी और वहां का पानी कैसा है। मिट्टी-पानी की जांच के बाद जिस जगह पौधे लगाने हैं, वहां के एरिया को समतल कर लें ताकि जलभराव की दिक्कत ना हो। अगर जलभराव होता तो पौधे मर भी सकते हैं। 

पौधे लगाने के तरीके

आप दो तरह से पौधे लगा सकते हैं। इसमें एक विधि बेड की है। इसमें मिट्टी का 2 से ढाई फीट चौड़ा और करीब 4 से 6 इंच ऊंचा एक बेड बना दिया जाता है। इसके ऊपर  ड्रिप बिछाकर फिर पानी दिया जाता है। दूसरा तरीके में समतल जमीन पर ही पौधे लगा देते हैं और उसके बाद हल्के गड्ढे बना देते हैं। इसके बाद उनमें पानी दे देते हैं। हालांकि ड्रिप से पानी देने और सीधा पानी देने में अंतर है। ड्रिप ज्यादा कारगर है। इससे एक पौधे से दूसरे पौधे में रोग नहीं फैलता।

मान लीजिए कि अगर अगर किसी पौधे की जड़ में नीमाटोड नाम का रोग लग गया। इसके बाद एक पौधे में दिया गया पानी दूसरे पौधे तक बहकर पहुंचेगा तो उस पौधे में भी ये बीमारी लगने के चांस रहते हैं। लेकिन ड्रिप में ऐसी चीजें नहीं होती है। अगर 50 से ऊपर पौधे लगाते हैं और बड़े लेवल पर बागवानी करनी है तो ड्रिप बढ़िया तरीका है क्योंकि इससे पानी के अलावा दवा भी दी जा सकती है। 

पौधे लगाने से पहले आप इन चीजों का भी ध्यान रखें कि कौन सा पौधा लगा रहे हैं और वो बड़ा होकर कितनी जगह लेगा, उसी हिसाब से खेत में मार्किंग करें। वहीं अगर आप आम वगैरह के बड़े पौधे लगाना चाहते हैं तो देख लें कि ऊपर से बिजली की हाई टेंशन तारें तो नहीं गई हैं क्योंकि इससे भी पौधा पूरी तरह से ग्रो नहीं करेगा। एक बगीचे में बड़े पौधों के नीचे छोटे पौधे ना लगाएं क्योंकि इससे छोटा पौधा नहीं बढ़ेगा।

वहीं अगर आपको अच्छे रिजल्ट चाहिए तो कहीं से भी पौधा ना खरीदें। सरकारी नर्सरी या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नर्सरी से ही पौधा खरीदें। 

अगर आप बारिश के मौसम में पौधा लगाने जा रहे हैं तो उससे एक महीना पहले करीब 2×2 फीट का गड्ढा खोदकर छोड़ दें। पौधा लगाने से 10-15 दिन पहले इसमें वर्मीकंपोस्ट या सड़ा हुआ गोबर डालें लेकिन वो ताजा ना हो। दूसरा अगर आपके एरिया में दीमक ज्यादा लगते हैं तो उसकी दवाई भी इसमें डाल लें। वहीं पौधा लगाने से पहले एक बार बारिश हो जाए या फिर उसमें आप ड्रिप चलाकर छोड़ दें ताकि सारी चीजें ठीक से मिक्स हो जाएं। 

जो पौधे आप नर्सरी से लेकर आए हैं उन्हें लगाने से पहले एक बार पानी में डिप कर लें। क्योंकि कई बार आप मिट्टी में तो पानी दे देते हैं लेकिन नर्सरी से लाए इन पौधों में जो मिट्टी लगी होती है वो पानी सोख नहीं पाती और अगर आप एक बार पौधा लगाने के बाद 4-5 दिन तक पानी नहीं देते हैं तो पौधा सूख भी सकता है। लेकिन डिप करने से उस पौधे की मिट्टी से हवा बाहर आ जाएगी और जड़ों तक पानी आराम से पहुंच जाएगा। 

पौधे लगाने के बाद ऐसे करें देखभाल

पौधों को लगाने के बाद उनकी देखरेख बहुत जरूरी हो जाती है। समय समय पर पानी और खाद देना जरूरी होता है। और हर पौधे की अपनी अलग डिमांड होती है। जैसे की आड़ू के पौधे को वैसे तो पानी की खास जरूरत नहीं पड़ती लेकिन जब उसमें फल आएं तो हर 10 दिन में पानी देना चाहिए।

वहीं लीची जैसे पौधे हैं तो उन्हें ज्यादा गर्मी से बचाना जरूरी हो जाता है क्योंकि लीची के लिए तो सबसे अच्छा 35 डिग्री सेल्सियम का मौसम उपयुक्त माना जाता है। इसके अलावा पेड़ों में कीट पतंगे लग जाते हैं। उनके लिए समय समय पर दवाइयों का छिड़काव जरूरी है। आप नीम ऑयल वगैरह का भी छिड़काव कर सकते हैं। अगर आप रासायन के उपयोग से बचना चाहते हैं तो मार्केट में काफी कम दाम में इंसेक्ट ट्रैप मिल जाते हैं।

इसके अलावा आप कुछ छोटी मोटी जरूरी बातों का ध्यान रखें। जैसे की पेड़ों में अगर कोई सड़े फल हैं तो उन्हें निकाल दें। बगीचे की साफ-सफाई रखें क्योंकि नीचे पड़े पत्तों और खराब फलों में कीड़े लगते हैं जो पूरे बाग में फैल जाते हैं।

बाजार में कैसे मिलेंगे अच्छे दाम?

फल तैयार होने के बाद सबसे बड़ी समस्या इन्हें सही दाम पर बेकने की होती है। कई किसान अपने फिक्स व्यापारी के पास अपना माल बेच आते हैं लेकिन ऐसे बिल्कुल ना करें। बल्की अच्छा तो ये रहता है कि जब आपका फल तैयार होने वाला हो तो उससे पहले ही कई आढ़तियों या व्यापारियों से बात करके उनके रेट ले लें और फल पकने के टाइम पर आपको जहां सही रेट मिले वहां अपना माल दे दें। इससे आपकी अच्छी कमाई होगी।

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