अमेरिका तक जाती है किसान की औषधीय फसल, अब खेती में करते हैं डबल मुनाफा

कृषि उद्योग एक बहुत बड़ा क्षेत्र है जिसमें कई तरह की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और बहुत से किसान ऐसा कर भी रहे हैं। पारंपरिक खेती से हटकर अगर किसान कुछ कर रहे हैं तो उन्हें इसमें काफी लाभ देखने को मिल रहा है। जैसे की औषधीय खेती। औषधीय पौधों की डिमांड देश ही नहीं दुनिया में भी रहती है। इनकी दवा बनाने के साथ साथ ये अन्या कार्यों में भी काम आते हैं। हालांकि अभी भी किसानों में इसकी जानकारी को लेकर अभाव देखने को मिलता है। इसलिए वो इस खेती से मुनाफा नहीं कमा पाते हैं। लेकिन जो ये खेती कर रहे हैं, उन्हें काफी बढ़िया मुनाफा देखने को मिलता है।

सहारनपुर में काफी औषधीय खेती की जाती है। इन्हीं में से एक बालपुर गांव के रहने वाले मदन सैनी भी हैं। वो वैसे तो पिछले 45 साल से खेती कर रहे हैं। लेकिन उन्हें अच्छा मुनाफा तब हुआ जब उन्होंने साल 2004 से औषधीय खेती करनी शुरू की। इससे पहले वो पारंपरिक खेती जैसे धान, गेंहू और गन्ने की ही खेती की। ये खेती उनके दादा-परदादा करते आ रहे थे और इसलिए उन्हें भी इसके बारे में पहले से ही पता था। लेकिन उन्होंने पाया कि इस तरह से खेती में आमनदी ना के बराबर थी, बच्चों की फीस भरना मुश्किल था और अपना घर तक नहीं बना पा रहे थे, तब उन्होंने सोचा कि कुछ नया करना पड़ेगा। 

साल 2000 के आसपास वो एक कृषि की ट्रेनिंग में गए, वहां जाकर नई-नई विधियों का पता चला। पता चला कि खाद ज्यादा नहीं डालनी है और शाम को डालनी है। नकली असली यूरिया की पहचान पता चली। ऐसे करते-करते वो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के संपर्क में आए। पहले तो वो खुद इसमें आने से डर रहे थे। लेकिन फिर कंपनी ने अपने यहां फैक्ट्री में विजिट कराया। तब मदन सैनी को लगा कि ये लोग तो धरातल पर काम करने वाले लोग हैं और इसके बाद आखिरकार मदन मान गए।

इसके बाद उन्होंने 100 बीघे से शुरुआत की जिसमें उन्होंने धनिया-कसूरी मेथी जैसी चीजें उगाईं। मदन कहते हैं कि इसके बाद कंपनी ने हर्बल खेती पकड़ा दी। जैसे कि पार्सले, ओरीगेनो, थाइम, स्पेयर मिंट, बेसिल, लीक, सेज, मारजोरम, चैरिबल, डिल और ओरी। न पौधों के फायदे की बात करें तो इनसे घाव ठीक हो जाता है। शुगर के मरीज ठीक हो जाते हैं और तो और बदन दर्द भी दूर हो जाता है। इनमें से एक लीक है जो कि एक सेक्सवर्धक पौधा होता है। ओरीगेनो कैंसर मारक है। स्पेयर मिंट जोड़ों के दर्द में काम आता है। थाइम चने के पौधे जैसा होता है। यह खून को पतला करता है।

अब इन पौधों में वैसे तो बीमारियां नहीं लगती लेकिन हल्की फुल्की आ भी जाएं तो उसके लिए मदन सैनी अपना देसी तरीका ही अपनाते हैं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक तरीके से उपचार करने के लिए वो गौमूत्र को एक ड्रम में 15 दिन के लिए सड़ाते हैं। उन्होंने बताया कि 50 लीटर गौमूत्र में 1 लीटर लेमन ग्रास डालेंगे और इसका छिड़काव करेंगे तो इससे कीट नहीं लगेंगे। खेतों में लगने वाली सूंडी-इल्ली सब खत्म हो जाएंगी।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में सावधानी बरतने की जरूरत 

औषधीय फसल की खेतीकॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के कुछ फायदे हैं तो कुछ बातों में ध्यान भी रखना पड़ता है। इसमें घर बैठे पैसे आ जाते हैं। मंडी में जाकर मोलभाव नहीं करना पड़ता और आढ़तियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत मदन की खेती की ये फसलें विदेशों में जाती हैं। जैसे यूएसए, डेनमार्क इत्यादि। हालांकि वो बताते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में काफी सावधानियां बरतनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि 2 घंटे के समय के अंदर कुछ फसलों को कंपनी तक पहुंचाना पड़ता है। इसके अलावा जहां खेत कर रहे हों वहां आसपास दूसरे पेड़ नहीं होने चाहिए। अगर पेड़ों की पत्तियां फसल की ट्रॉली में मिली तो कंपनी आपकी पूरी फसल को रिजेक्ट कर देगी। हालांकि अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हैं तो मुनाफा काफी अच्छा होगा।

कितनी कमाई

औषधीय फसल की खेतीमदन ने किसान संवाद टीवी से बात करते हुए कहा, ”गन्ने में तो सालभर लगते थे। इसमें 6 महीने में पैसे मिल जाते हैं। गन्ना 25 हजार बीघा मिलता था। ये 6 महीने में ही 30-40 हजार बीघा निकल जाता है।” सिर्फ थाइम की बात करें तो उन्होंने बताया कि जब इसकी शुरुआत की थी तब ये 18 रुपये किलो थी और आज इसका रेट 28 रुपये किलो हो गया है। इसका बीज राई की तरह होता है। इसकी बुआई नवंबर में की जाती है और मई में कटाई हो जाती है।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में क्योंकि काफी सावधानी की जरूरत है, इसलिए मदन सैनी ने अपनी देसी औषधीय पौधों की तरफ रुख करना शुरू किया है। उन्होंने लेमन ग्रास और मोरिंगा जैसी फसल उगानी शुरू की है। उन्होंने अपने आसपास सैकड़ों किसानों को भी इसके लिए जोड़ा है। लेमन ग्रास के भी बहुत फायदे हैं। इसका तेल निकालकर किसानों को अच्छी कीमत मिल जाती है। इसका तेल दवाइयों से लेकर इत्र तक में इस्तेमाल होता है।

किसानों को औषधीय पौधों के फायदे समझाने और उन्हें ट्रेनिंग देकर मुनाफेदार खेती करने के लिए मदन सैनी ने अपनी एक कंपनी भी शुरू कर दी है। इसके जरिए वो देशभर में जाकर औषधीय पौधों के फायदे के बारे में बताते हैं। वो किसानों को इससे संबंधित हर तरह की मदद देते हैं। मदन बताते हैं कि औषधीय खेती के लिए सरकार भी मदद करती है। मेडिसनल प्लांट के लिए किसानों को काफी सपोर्ट मिल रहा है। हालांकि सरकार भी कई राज्यों में औषधीय पौधों की खेती के लिए सब्सिडी देती है और किसान कृषि विभाग जाकर इस खेती की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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