फसलों के लिए चमत्कारी है ‘सरसो की खली’, फटाफट होती है पौधों की ग्रोथ  

सरसो की खली-भारत में तेजी से ऑर्गनिक खेती का चलन बढ़ता जा रहा है। सरकार भी प्राकृतिक खेती पर ज्यादा से ज्यादा जोर दे रही है। वहीं तमाम किसानों ने रासायनिक खादों से दूरी बनाना शुरू कर दी है। हालांकि कुछ किसान प्राकृतिक खेती की तरह मुड़ना तो चाहते हैं लेकिन उन्हें इसके बारे में कम ही जानकारी है।

सरसो की खली

अगर ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक खेती के फायदे और गुणों के बारे में बताया जाए तो किसान जरूर इसे अपनाएंगे। इसलिए आज हम प्राकृतिक खेती के एक खास फैक्टर के बारे में बात करेंगे और वो ही सरसो की खली। इसे खेतों में लगी फसलों के लिए प्राकृति खजाना भी कहा जाता है। 

सरसो की खली तो प्राकृतिक खेती में अव्वल दर्जे पर आती है। इससे फसल में ना सिर्फ रोग नहीं लगते बल्कि पौधे की ग्रोथ भी बहुत जल्दी होती है। दरअसल पौधों को हरा-भरा और मज़बूत रखने के लिए आमतौर पर खाद का प्रयोग किया जाता है।

लेकिन खाद के ज़्यादा प्रयोग से मिट्टी की क्षारीयता बढ़ जाती है, जिससे पौधे या तो मर जाते हैं या सूख जाते हैं। ऐसे में मिट्टी और पौधों के लिए सरसो की खली का सही से उपयोग करना काफी लाभकारी होता है।

आइए आज आपको सरसो की खली और इसकी खाद के फायदे बताते हैं। और ये भी बताते हैं कि इसे कब और कैसे इस्तेमाल करना चाहिए।

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मिलते हैं ज्यादा पोषक तत्व

फसल में पोषक तत्वों हों, फूलों व फलों की गुणवत्ता बढ़े, कीड़ों और बीमारियों से पौधों को सुरक्षा मिले, इन सबमें खली बहुत उपयोगी साबित होती हैं।

किसान जब फसल लगाते हैं तो वो रासायनिक खाद के तौर पर यूरिया-डीएपी, जिंक आदि खेतों में डालते हैं जिनसे उन्हें सिर्फ नाइट्रोजन, फोस्फोरस, और पोटाश ही मिलते हैं।

लेकिन अगर वहीं बात करें सरसो की खली की तो इसमें 6 पोषक तत्व मिलते हैं। ये तत्व हैं – नाइट्रोजन, पोटाश, फास्फोरस, बोरोन, जिंक और सल्फर। ये 6 पोषक तत्व फसलों की ग्रोथ बढ़ाते है और किल्लो की संख्या ज्यादा करते है। इसलिए रासायनिक उर्वरक इसकी बराबरी कर ही नहीं सकते। 

कीटनाशक का भी काम करती है खली

सरसो की खली में 8से 10 प्रतिशत तक तेल का अंश होता है। ऐसे में ये प्राकृतिक रूप से ही कीटनाशक का काम करता है। इससे किसानों की फसल को काफी फायदा मिलता है।

फसल में कीड़े नहीं लगते और तो और बीमारियां भी दूर हो जाती है। सरसो की खली में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। तभी इसमें रोग नहीं लगते हैं। ऑर्गनिक खेती करने वालों के लिए तो खली वरदान साबित होती है।

सरसो की खली के इस्तेमाल से पौधों का विकास बहुत ही शानदार होता है और उत्पादन भी बढ़ता है। अगर फल वाले पौधों में इसका इस्तेमाल करते हैं तो फलों में अलग ही चमक आती है जो मंडी में बेचते समय अलग ही दिखते हैं।

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धान के लिए चमत्कारी है सरसो की खली

धान में सरसों की खली का उपयोग करने से धान की जड़ों में जो रोग होते हैं वो ना के बराबर हो जाते हैं।

इसके उपयोग से धान में कल्लों का फुटाव ज्यादा होने लगता है। 

चूंकि सरसो की खली से मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ती है तो पौधों की ग्रोथ भी अच्छी होती है।

कब और कैसे करें उपयोग

सरसों की खली की खाद उपयोग किसान फसल उगाने के 15 से 30 दिन के भीतर कर सकते हैं। किसान भाई एक एकड़ में 18 किलोग्राम सरसो की खली का प्रयोग कर सकते हैं। हालांकि इसका इस्तेमाल करने का भी तरीका है। 

सरसो की खली को आप किसी ड्रम में भिगो दें। इसके बाद इसे करीब 5 दिनों तक उसी ड्रम में भीगे रहने दें। इस दौरान एक लाठी या मजबूत डंडी की सहायता से हिलाते रहें। अब 5 दिन बाद इसमें का ऊपर से झाग हटा दें। मटमैले कलर का जो पदार्थ या लिक्विड है उसे 200 लीटर पानी में इसका घोल बना लें।

हालांकि ये बदबू मारेगा, इसलिए इसे थोड़ा झेलना होगा। लेकिन यही बदबू कीटों को भी दूर रखती है। इसका आप स्प्रे भी कर सकते हैं या फिर आप इसे सिंचाई वाले पानी के साथ खेत में छोड़ सकते हैं। ये पूरे खेत में फैल जाएगा।

अब इसके खेत में डालने के इसके दूसरे तरीके की बात करें तो सरसो की खली को कूट-कूट कर बारीक कर लें। फिर इसको अपने खेतों में बिखेर दें। सिंचाई से पहले ऐसा करेंगे तो ज्यादा कारगर रहेगा।

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क्योंकि खली की गलने के लिए पानी चाहिए होगा। कई बार देखा गया है कि खेत में डाली गई खली में फफूंद लग जाती है लेकिन ये फफूंद पौधों को बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि सिर्फ खली ही गलती है। गलने के बाद खली अपने पोषक तत्व छोड़ती है। 

सरसो की खली का उपयोग सीधे पौधों की जड़ों में ना करें और ज्यादा खली का प्रयोग बिल्कुल ना करें। क्योंकि हर खाद का अत्यधिक प्रयोग नुकसानदेह होता है। सरसो की खली का इस्तेमाल करते वक्त ध्यान रहे कि मिट्टी में नहीं बनी रहे। 

किन पौधों में करें सरसो की खली का इस्तेमाल / सरसों की खली का उपयोग

इस खली का इस्तेमाल फल और सब्जियों दोनों के पौधों में कर सकते हैं। फलों की बात करें तो इसमें आम, नींबू, संतरा, अमरूद, अनार, केला, अंगूर, नाशपाती और पपीता शामिल है।

सब्जियों में किसान टमाटर, आलू, बैंगन, भिंडी, गाजर, शलजम, मटर, पालक और मेथी के खेतों में खली डाल सकते हैं। इसके अलावा गुलाब, चमेली, गेंदा, सूरजमुखी, मोगरा, रजनीगंधा, डेज़ी, लिली और ऑर्किड के पौधों में सरसो की खली का इस्तेमाल कर सकते हैं।

तो अगर किसान भाई उपरोक्त तरीके से सरसो की खली का सही इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें बढ़िया फसल मिलेग। जैविक खेती करने से प्रोडक्शन और गुणवत्ता दोनों में लाभ मिलता है।

मार्केट में ऑर्गनिक फसलों का रेट भी ज्यादा रहता है। इसलिए किसान ना सिर्फ सरसो की खली बल्कि नीम की खली और मूंगफली की खली का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सभी खलियों से पौधों को बढ़िया ग्रोथ मिलती है। बस किसान सही तरीके और खाद डालने के समय का ध्यान रखें। 

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कृप्या प्रतिक्रिया दें
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