2024 में बड़े फैसले लेंगे कैबिनेट कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान!

मोदी कैबिनेट 3.0 में कृषि मंत्रालय इस बार मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान को मिला है। 9 जून को उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में कैबिनेट की शपथ ली थी और 24 घंटों में ये भी पता चल गया कि उनके पास कौन सा मंत्रालय होगा। कृषि मंत्री बनने के अलावा शिवराज सिंह चौहान को पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्रालय भी मिला है। पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें ये मंत्रालय मिल सकता है क्योंकि सीएम रहते उन्हें कई बार कृषि उन्नत पुरूस्कार मिल चुका हैं। खेतीबाड़ी के क्षेत्र में वो काफी काम कर चुके हैं। अब मंत्रालय का प्रभार संभालते ही उन्होंने कुछ ही देर में देश के कृषि अधिकारियों की बैठक भी बुला ली। अब वो कृषि क्षेत्र में कुछ बड़े फैसले भी कर सकते हैं। आइए उनके राजनीतिक करियर पर नजर डालें और आपको उनके कुछ अनकहे किस्से बताएं।

shivraj

6 बार बन चुके हैं सांसद
शिवराज सिंह चौहान बीजेपी के कद्दावर नेताओं में से हैं। उन्होंने 90 के दशक में अखिल भारतीय केशरिया वाहिनी के संयोजक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी। साल 1990 में पहली बार वो एमपी के बुधनी से विधानसभा चुनाव जीते थे। हालांकि अगले साल 1991 में ही उन्होंने विदिशा से चुनाव जीता और सांसद बन गए। इसके बाद वो 1996,1998,1999 और 2004 में सासंद बने। अब साल 2024 में भी वो विदिशा सीट से ही सासंद का चुनाव जीते हैं।

बता दें कि 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी दो सीटों से चुनाव लड़ा था, विदिशा की सीट उनमे से एक थी। हालांकि बाद में अटल बिहारी ने विदिशा की सीट छोड़ दी और फिर मौका मिला शिवराज सिंह चौहान को। जिसके बाद वो दसवीं लोकसभा के सदस्य बने थे।

4 बार बने मुख्यमंत्री

शिवराज ने साल 2005 में मध्य प्रदेश की कमान संभाली थी और उन्हें पहली बार मुख्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद मध्य प्रदेश में 2008 और 2013 में भी बीजेपी जीती और शिवराज मुख्यमंत्री बने। हालांकि साल 2018 के चुनाव में वो हारे थे लेकिन परिस्थिति आखिरकार उनके पक्ष में हो गई थी। कांग्रेसी विधायकों ने विद्रोह किया था। दरअसल तब कमलनाथ की सरकार बनी थी लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने से कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। शिवराज सिंह चौहान की वापसी हो गई थी।

पहली बार कैसे मुख्यमंत्री बने शिवराज?
उमा भारती ने 2003 में BJP को मध्य प्रदेश में सत्ता दिलवाने में बड़ा योगदान दिया था। लेकिन झंडा प्रकरण में नाम आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने। जब उमा भारती केस से बाइज्जत बरी हुईं, तो उनके और पार्टी के समीकरण उन्हें मुख्यमंत्री पद वापस दिलवाने के लिए मुनासिब नहीं थे, बाबूलाल गौर भी मुख्यमंत्री पद छोड़ना नहीं चाह रहे थे। आखिरकार पॉलिटिकल टसल में हाईकमान के आदेश के बाद प्रदेश अध्यक्ष शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उमा भारती भी इस नाम पर सहमत थीं।


क्यों कहलाते हैं मामा?
शिवराज सिंह चौहान ने सांसद रहते हुए सैकड़ों लड़कियों का कन्यादान लिया। उन्होंने मुख्यमंत्री रहने के दौरान लड़कियों के जन्म, पढ़ाई से लेकर उनकी शादी तक सहायता करने के लिए लाड़ली लक्ष्मी जैसी कई लोकप्रिय योजनाएं चलाईं। यही कुछ वजह थीं, जिसके चलते वे युवाओं में ‘मामा’ नाम से ख्यात हो गए।

निजी जीवन
शिवराज ने बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से फिलॉसफी में एमए की है। शिवराज सिंह की पत्नी का नाम साधना सिंह हैं। उन्होंने 1992 में शादी की थी। हालांकि उनकी पत्नी राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। शिवराज सिंह के दो बेटे हैं। एक कार्तिके चौहान और कुणाल चौहान।

कृषि कार्य में एमपी को मिले हैं अवॉर्ड
2015-16 में गेहूं के उत्पादन की श्रेणी में मध्य प्रदेश को अवॉर्ड मिला था। क्योंकि शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में एमपी ने पंजाब-हरियाणा को गेहूं उत्पादन में पीछे छोड़ दिया था। वहीं किसानों के लिए शिवराज कई तरह की स्कीम चलाते रहे हैं। जैसे मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना जिसमें किसानों को 6 हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा कई तरह की सब्सिडी किसानों को दी जाती है।

शिवराज सिंह चौहन की संपत्ति?
शिवराज सिंह ने काफी सादा जीवन जीने वाले व्यक्ति माने जाते हैं। जब उन्होंने लोकसभा के लिए इस बार नामांकन किया तो सामने आया कि उनके पास कुल 3 करोड़ 42 लाख की संपत्ति हैं। शिवराज सिंह 16 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे लेकिन इसके बावजूद उनके पास खुद की कार नहीं है।

इन जिम्मेदारियों को भी संभालते आए हैं शिवराज
1972 में 13 साल की उम्र में RSS से जुड़े।
1975 अध्यक्ष, मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल छात्र संघ।
1975-1976 आपातकाल के खिलाफ भूमिगत आंदोलन में हिस्सा लिया ।
1976-1977 आंतरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत मीसाबंदी रहें।
1977-1978 संगठन सचिव, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भोपाल।
1978-1980 संयुक्त सचिव, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मध्यप्रदेश ।
1980-1982 महासचिव, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मध्यप्रदेश।
1982-1983 राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद।
1984-1985 संयुक्त सचिव, भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्यप्रदेश।
1985-1988 महासचिव, भारतीय जनता युवा मोर्चा।
1988-1991 अध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्य प्रदेश।
1991-1992 संयोजक, अखिल भारतीय केशरिया हिंदू वाहिनी।
1992 अध्योध्या में कार सेवा के दौरान जेल।
1992-1996 महासचिव, भारतीय जनता युवा मोर्चा।
1997-2000 महासचिव, भारतीय जनता पार्टी, मध्य प्रदेश।
2000-2003 राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा।
2003-2005 राष्ट्रीय महासचिव, भारतीय जनता पार्टी।
2005-2006 प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी, मध्य प्रदेश।
2014-2022 सदस्य, भारतीय जनता पार्टी पार्लियामेंट्री बोर्ड।
2018 -20 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी।
2019 भारतीय जनता पार्टी सदस्यता अभियान के प्रमुख।

 

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