Friday, September 20, 2024
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श्याम चौधरी: MNC की नौकरी छोड़ जैविक खेती से बनाई लाखों की कमाई

कृषि उद्योग (जैविक खेती )में कई पढ़े लिखे युवा भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने खेती किसानी को ही अपना प्रोफेशन और स्टार्टअप बना लिया है। इन युवाओं ने खेती को एक नया आयाम देना भी शुरू किया है। पारंपरिक तरीकों से थोड़ा हटकर जैविक खेती को अपनाते हुए क्वालिटी वाला उत्पादन देना शुरू किया है।

इन्हीं में से एक युवा किसान हैं श्याम जी चौधरी। इन्होंने लखनऊ से अपनी एमबीए की पढ़ाई की और इसके बाद मल्टी नेशनल कंपनी में काम भी किया। लेकिन जैविक खेती किसानी ने इन्हें इतना आकर्षित किया कि ये वापस अपने गांव डरहार चले गए जो कि बिहार के दरभंगा जिले में पड़ता है। और अब ये यहीं पर मल्टीक्रॉप फार्मिंग कर रहे हैं। आज की तारीख में ये बाकी युवा किसानों और जैविक खेती से जुड़े लोगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

जैविक खेती

5 बीघे में कर रहे जैविक खेती

मल्टी नेशनल कंपनी से लौटकर श्याम ने अपने पुरखों की पुश्तैनी जमीन पर 5 बीघे से खेती की शुरुआत की है। उन्होंने किसान संवाद टीवी से बात करते हुए कहा कि लखनऊ में एमबीए करने के बाद से ही उन्हें मन था कि वो बिजनेस करेंगे। इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना एग्री बिजनेस किया जाए। उन्होंने कहा, ”बहुत सारे लोग पुश्तैनी जमीन को बेच रहे हैं, छोड़ रहे हैं, खेती नहीं कर रहे हैं, बंजर छोड़ रहे हैं, क्यों ना उसको उपजाऊ बनाया जाए और उसमें खेती तो करना है लेकिन उसको एक नए आयाम से करना है।”

श्याम ने आगे बताया कि वो इन दिनों जैविक खेती की काफी डिमांड देख रहे हैं। वहीं जैविख खेती करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से उन्हें सब्सिडी भी मिली है। 5 बीघे में श्याम मिक्स सब्ज़ी की खेती कर रहे हैं। जैसे कि टमाटर, सीडलेस खीरा, लौकी, भिंडी और नेनुआ उगाया हुआ है। यहां फार्म में वो बेड बनाकर ये सब्ज़ियां उगाते हैं। इसमें वो बेड से बेड की दूरी लगभग डेढ़ फीट और पौधे से पौधे की दूरी आधे फीट की रखते हैं।

इस दौरान वो अपने खेतों से रोजाना 50 से 60 किलो टमाटर तोड़ पा रहे हैं और खीरा भी इसी प्रकार से 10 से 15 किलो प्रतिदिन निकल रहा है। उन्होंने बताया कि खीरा और भी होना चाहिए था लेकिन कुछ मौसम के चलते प्रोडक्शन थोड़ा कम हुआ है।

MNC की नौकरी छोड़कर जैविक खेती में लाखों की कमाई | Shyam Ji की Success Story

खेती में भी लाएंगे डिजिटल इंडिया

श्याम ने बताया कि चूंकि उन्हें खेती को नया आयाम देना है तो सबसे ज्यादा देखा जाता है कि फसल का उत्पादन तो हो जाता है लेकिन अगर उसका मार्केटिंग ठीक से ना हो और उसके पैसे ना मिले तो फिर क्या ही फायदा। अपनी जैविक उत्पादन को बेचने के लिए श्याम ने तरीका निकाला है कि वो इन जैविक सब्जियों को ऐप के जरिए बेचेंगे। इस पर अभी वो काम कर रहे हैं। वहीं वो फिजिकल स्टोर भी रखेंगे।

उन्होंने खेती में उतरने से पहले काफी एनालिसिस भी किया था। उनका कहना है कि रिलायंस में ही एक लाख रुपये की सब्जियों की रोजाना की डिमांड है और इसमें सबसे ज्यादा जैविक सब्जियों की डिमांड रहती है। ऐसे में उनका कहना है कि उनकी सब्जियां तो सारी दरभंगा में ही बिक जाया करेंगी। हालांकि वो अपनी सप्लाई और भी बढ़ाने का प्लान कर रहे हैं।

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कितनी हो रही है इनकम

श्याम अभी मिश्रित खेती कर रहे हैं। इसमें वो ज्यादा से ज्यादा चीजें शामिल करना चाहते हैं जैसे कि मछली पालन, मुर्गी पालन और मधुमक्खी पालन भी। उनका कहना है कि अगर अलग-अलग तरह की चीजें लगाकर रखेंगे तो इससे खेती में नुकसान होने के चांस कम हो जाएंगे। जैसे कि अगर खीरे की मंडी डाउन है तो उन्हें मछली से इसकी भरपाई हो जाएगी, अगर मुर्गी का मार्केट डाउन रहेगा तो उसका भरपाई टमाटर और प्याज से हो सकता है। वहीं फिलहाल तो वो साल का 6 से 7 लाख कमा रहे हैं लेकिन उनका प्लान एक महीने में एक लाख रुपये कमाने का है।

श्याम ने एक कमाल का काम और किया हुआ है जिससे उनकी प्रमाणिकता और बढ़ जाती है। वो लोगों को अपने फार्म पर इनवाइट भी करते हैं यानी आप वहां खुद जाकर वहां से सब्जी खुद तोड़कर खरीद सकते हैं। इससे आपको ये भी पता चलेगा कि आपकी सब्जियां कितनी जैविक हैं कितनी नहीं। आप श्याम के इस फार्म पर आराम से विजिट भी कर सकते हैं। इससे कस्टमर को संतुष्टि हो जाएगी कि उन्हें असली जैविक उत्पादन ही मिल रहा है।

जैविक खेती

उन्होंने कहा कि लोग रासायनिक खेती का ज्यादा कर रहे हैं लेकिन अब वक्त है कि इसे कम से कम किया जाए। ताकि जमीन, पानी और पैसा सब कुछ बचाया जा सके। इससे हमारी प्रकृति भी संरक्षित रहेगा और हम लोग भी संरक्षित रहेंगे।

‘किसान कहने में आती है शर्म’

श्याम ने कहा कि पहले हम बोल पाते थे कि हमारा देश सोने की चिड़िया है लेकिन अब नहीं बोल पाते। उन्होंने कहा, ”इसका एक मूल कारण ये है कि हमें किसान बोलने में सबसे ज़्यादा शर्म आता है। आज किसी बच्चे से आप पूछिएगा आपको क्या बनना है वो बताएगा डॉक्टर बनना है, इंजीनियर बनना है और भी विभिन्न प्रकार की जो है वो अपनी कलाएं बताएंगे लेकिन अगर आप उन्हें बोले कि आप किसान बनना चाहेंगे तो वो नहीं कहेंगे। जिस दिन हमारा भारत किसान बनने में शर्म नहीं करेगा उस दिन हमारा भारत सोने की चिड़िया बन जाएगा।”

अपने फार्म पर दिया है रोजगार

श्याम ने अपने फार्म पर लोकल लोगों को रोजगार दिया हुआ है। जाहिर है इतनी वैराइटी की और इतनी बड़ी जैविक खेती करने के लिए लोग तो चाहिए ही होते हैं। इसमें ज्यादातर महिलाए हैं। उन्होंने कहा कि वो लोकल फॉर वोकल पर ध्यान दे रहे है और जो लोकल है उसकी को काम पर रखा हुआ है।

उन्होंने अपने खेती के पूरी सिस्टम में लोगों को शामिल किया है, वो जिस तरह से अपनी खेती का डिजिटाइजेशन कर रहे हैं, उसमें भी आसपास के लोगों को शामिल किया है। उनका कहना है कि वो पहले भी सोचते थे कि रोजगार सृजन हो और अब वो खुद धीरे-धीरे लोगों को रोजगार दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो नहीं चाहते कि लोग अपना घरबार छोड़कर बाहर जाएं।

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