ये हैं प्रकृति प्रेमी पदम सिंह, दिल्ली में घर की खाली छत पर तैयार किया ‘मिनी जंगल’, ऐसे करते हैं देखभाल

आज के दौर में वातावरण काफी गर्म होता जा रहा है। वहीं रासायनिक वाली फल-सब्जियां खाने से लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। लेकिन इन सब बातों से जागरुक होकर तमाम लोगों ने अपने वातावरण का ध्यान रखना शुरू किया है और तो और वो ऑर्गनिक चीजों की तरफ फिर से लौट रहे हैं। इन्हीं में से एक दिल्ली के रहने वाले पदम सिंह है। जिन्होंने अपने घर की छत पर 1000 से ज्यादा पौधे लगाए हैं। इनमें से 400 से ज्यादा पौधे तो फलों के ही हैं। इसके अलावा आपको इनकी छत पर ऑर्नामेंटल और मेडिशन प्लांट भी मिल जाएंगे।

पदम सिंह ने अपने घर की दो छतों पर पूरा मिनी जंगल ही बसा दिया है। उनकी फर्स्ट फ्लोर की छत 2000 स्क्वायर फीट से ज्यादा है और दूसरी छत इसके ऊपर करीब 500 स्क्वायर फीट की है। सिर्फ छत ही नहीं इन्होंने बालकनी और आंगन में भी अंगूर-आम जैसे पौधे लगा दिए हैं। पदम सिंह ने अपने इस मिनी जंगल की शुरुआत 2013 में की थी। इससे उन्हें ना सिर्फ घर के फल खाने को मिल रहे हैं बल्कि उनके घर का तापमान इतना कम रहता है कि गर्मी में भी वो अपने रूम में एसी नहीं चलाते हैं।


पदम सिंह 31 मार्च, 2021 को एडिशनल कमिशनर ऑफ इनकम टैक्स की पोस्ट से रिटायर हुए थे और फिलहाल स्पेशल मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के पद पर हैं। इनका पेड़-पौधे लगाने का जज्बा और शौक अभी भी लगातार जारी है। आइए जानते हैं कि उन्हें ये शौक कैसे और कब लगा?

मां से लगा खेती का शौक
पदम आज दिल्ली के जिस एरिया में रहते हैं वो साल 1959-60 के दौर में गांव हुआ करते थे। उनकी भी यहां खेती की जमीने हुआ करती थीं। लेकिन धीरे धीरे शहर बनाने के लिए एमसीडी नगर निगम वगैरह ने इन जमीनों का अधिग्रहण किया और शहर बसा दिए। उस समय जब खेती हुआ करती थी तो इनके घरो में भी खेती होती थी। मां को भी खेती में शौक था और वो उत्तर प्रदेश से थीं। मां के साथ पदम सिंह 11वीं क्लास तक पौधे लगाते रहते थे। लेकिन फिर पढ़ाई लिखाई और नौकरी के चलते ये सब छूट सा गया। वो इसे जारी नहीं रख पाए। लेकिन उनके अंदर एक किसान हमेशा ही था। इसलिए साल 2013 में उन्होंने इस शौक को दोबारा शुरू किया।

पदम सिंह के पास वैसे तो चीकू, सेब, लीची, अनार जैसे कई पौधे हैं लेकिन अगर कोई खुद से शुरूआती तौर पर शुरू करना चाहे तो उसके लिए नींबू, अमरूद, फालसे, शहतूत और अंजीर जैसे पौधे ठीक रहेंगे। पदम सिंह ने खुद बताया है कि कैसे वो अपने टैरेस गार्डन का ख्याल रखते हैं और बाकी लोग भी किन बातों का ध्यान रखकर उनके जैसे छत पर बागवानी कर सकते हैं।

किन बातों का रखें ध्यान?
टैरेस गार्डनिंग की जरूरी बातों की चर्चा करते हुए पदम सिंह ने बताया, ”अगर आपकी छत मजबूत नहीं है और आप टैरेस गार्डन बनाना चाहते हैं, तो आप ग्रो बैग्स में पौधे उगा सकते हैं, प्लास्टिक के गमलों में उगा सकते हैं। और अगर आपकी छत मजबूत है जैसे की हमारी ये छत मजबूत है, इसमें डेढ़-डेढ़ फीट का लैंटर है। तो आप इस पर फिर भी कोटा स्टोन का काम करवाइए। ताकी लीकेज की प्रॉब्लम बिल्कुल खत्म हो जाए। कोटा स्टोन अपने ऊपर ही पानी रखता है और पानी रिसता नहीं है। ढलान भी ठीक से बनवाएं ताकी पानी निकल जाए। इसके बाद आप अपने पोट्स को लोहे के स्टैंड पर रखें, चाहें वो कोई भी पोट्स हों, प्लास्टिक के या सीमेंट के या फिर ग्रो बैग्स भी। ये बेसिक जरूरत है टैरिस गार्डनिंग की जिसका आपको ध्यान रखना है।”

किस तरह आएंगे फल?
पदम सिंह का कहना है कि सीधा बीज वाले पौधें लगाएंगे तो गमलों में उनसे फल नहीं मिलेंगे। इसके लिए उन्होंने सलाह दी कि लोग नर्सरी से ग्राफ्टिंग वाले पौधे लाएं। या कोई अगर खुद ग्राफ्टिंग कर सकता है तो ग्राफ्टिंग करके ही गमलों में पौधे लगाए। इसके अलावा उन्होंने बताया कि वैसे तो फ्रूट वाले पौधों को 20 इंच वाले गमलों में लगाना चाहिए लेकिन अगर आम, शहतूत और फालसा जैसे फ्रूट लगा रहे हैं तो उन्हें कम से कम 24 इंच के गमलों में लगाएं।

अगर आप गमलों में फल लगने का ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते तो ग्राफ्टिंग वाला पौधा लाएं और इसकी पहचान के लिए आप देख सकते हैं कि जहां से ग्राफ्टिंग की गई होगी वहां गांठ होगी। और पौधे में फूल आया हो या फल हो तो बहुत ही बढ़िया। सीधे उसको लाकर लगा दीजिए वो आगे भी बढ़िया चलेगा।


कब लगाएं पौधे और कैसे रखें ख्याल?
पदम जी कहते हैं, ”पौधों को सही तरह से लगाने का वक्त मिड अक्तूबर से लेकर मिड फरवरी तक होता है। इन दिनों में अगर पौधें लगाएंगे तो पौधे के मरने के चांस काफी कम होते हैं। वैसे तो बारिश में भी लगा सकते हैं लेकिन गमले में ज्यादा पानी भरा रहने से जड़ों के गलने का डर रहता है।” इसके अलावा पदम जी ने पौधे की देखरेख के बारे में बताया कि छोटा पौधा है तो उसमें हर महीने खाद देनी है। खाद के रूप में आप गोबर की सड़ी हुई खाद, वर्मीकंपोस्ट या घर के किचन वेस्ट से बनी हुई खाद डाल सकते हैं। इन खादों के जरिए आपको एकदम ऑर्गनिक फल मिलेंगे। उन्होंने बताया कि घर में उगाए गए इन फलों का स्वाद काफी अलग और अच्छा होता है।

उन्होंने बताया कि पौधे अगर बड़े हैं तो जब पौधे में फूल आ रहा हो तब एक गमले में करीब 3 किलो खाद दें, इसके बाद जब फूल छोटे छोटे फलों में बदल जाए एक बार तब जरूर खाद दें। साथ ही उन्होंने कहा कि टाइम टू टाइम गुड़ाई भी जरूर करें।

छत पर बागवानी की कुछ जरूरी बातों में पदम जी ने ये भी बताया कि ऐसी जगह पौधे लगाएं जहां करीब 4-5 घंटे धूप आती हो। इसके अलावा गर्मी का अगर मौसम है तो ग्रीन नेट जरूर लगवाएं। इससे छत पर काम करने वाले और पौधों दोनों को राहत मिलेगी। ये ग्रीन नेट सर्दियों में भी पाले से पौधों को बचाता है।

पदम सिंह ने बताया कि वैसे तो गमलों में रोग और कीट बगीचे के मुकाबले कम ही लगते हैं। वहीं बराबर देखरेख करेंगे तो पौधे को ना के बराबर बीमारी लगेगी। लेकिन फिर भी कीट और रोगों से पौधों को बचाना हो तो नीम ऑयल स्प्रे कर सकते हैं या फंगीसाइड का इस्तेमाल कर सकते हैं।

गार्डनिंग में मदद करेंगे पदम सिंह
पदम जी लोगों से अपील भी करते हैं कि किसी के पास अगर एक बालकनी भी तो उसमें वो छोटे 4-5 पौधे ही सही लेकिन लगाएं जरूर और जिसके पास बड़ी छत है वो तो जरूर लगाएं। इससे पर्यावरण भी स्वस्थ रहेगा और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के हल में छोटा सा योगदान हमारा भी हो जाएगा। खुद गार्डनिंग करने के फायदों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि जिसका मन पौधों में लगता है, उसे कभी डिप्रेशन नहीं होता और वो बीमार कम पड़ता है। वहीं अगर किसी को टैरेस गार्डनिंग से या पौधे से संबंधित कोई जानकारी चाहिए तो वो पदम जी से संपर्क कर सकते हैं। वो खुशी खुशी दिल से लोगों को पौधों के बारे में जानकारी देते हैं और कई लोगों ने उनकी सलह पर ये काम शुरू भी किया है। आप उन्हें 9818153999 पर कॉल कर सकते हैं।

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