प्रोफेसर की नौकरी छोड़ अरुण कुमार बने सफल पशुपालक, 10 हजार रु किलो विदेशों में जाता है गाय का घी

हमारे देश में जैसे-जैसे खानपान को लेकर जागरूकता बढ़ी है। वैसे वैसे लोग खेती किसानी को काफी महत्व देने लगे हैं। सिर्फ सामान्य खेती नहीं बल्कि तमाम लोग ऑर्गनिक खेती की ओर मुड़े हैं जो कि पहले हमारी जड़े हुआ करती थीं। इन्हीं में से हमारे एक किसान अरुण कुमार भी हैं। जिन्होंने भारत सरकार की 15 साल नौकरी की थी। वो मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योग में असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट रहे। उनकी देखरेख में ही सरकार के योग दिवस भी मनाए गए।

हालांकि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के अरुण अब सरकारी नौकरी को पूरी तरह से अलविदा कह चुके हैं और फुल टाइम किसान बन गए हैं। अपनी डेढ़ सौ बीघे की जमीन में पशुपालन और ऑर्गनिक खेती कर रहे हैं। हालांकि अभी भी वो पार्ट टाइम के तौर पर एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं।

अपने पूरी तरह किसान बनने की यात्रा के बारे में अरुण बताते हैं कि वो शुरू से ही किसान परिवार से आते हैं। वो सहारनपुर में रहते थे। लेकिन अपनी नौकरी चलते वो दिल्ली में शिफ्ट हो गए थे। लेकिन साल 2018 में अरुण ने वीआरएस ले लिया और सहारनपुर वापस आ गए। पर उन्होंने ऐसे क्यों किया तो एक लाइन में इसका जवाब देते हुए कहते हैं, ”अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाते हो, राशन की दुकान में नजर आते हो।” तो बस इसलिए उन्होंने घर का रुख किया और आज उनके घर में खाने का पूरा ऑर्गनिक सामान भरा पड़ा है।

ऐसा नहीं था कि अरुण ने सिर्फ नौकरी छोड़ी और सीधा बिना किसी रोडमैप के किसान बन गए। उन्होंने अपनी जमीन पर बाग बनाए और साथ में ऑर्गनिक खेती की। साथ ही पशुपालन का काम भी शुरू किया। पशुओं को भी ऑर्गनिक चारा ही खिलाते हैं। ताकि वो एकदम शुद्ध घी बना पाएं।

विदेश में भी जाता है घी
अरुण के पास आज की तारीख में 19 गाये हैं। इनका वो बहुत ध्यान रखते हैं जिससे उन्हें अच्छा दूध मिलता है और उसका वो घी बनाते हैं। अरुण सीधा दूध नहीं बेचते हैं। उनका दावा है कि उनका घी कई मायनों में दूसरों से अलग है। अरुण बताते हैं कि उनके कुछ स्टूडेंट्स या अन्य लोग जब उनके फार्म पर आते हैं तो उनका दूध विदेश लेकर जाते हैं और बाद में वो वहां से दोबारा घी का ऑर्डर देते हैं। अरुण का बनाया हुआ घी विदेश में 10 हजार रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है। वहीं घी बनाने के लिए उन्होंने अपने साथ कुछ विश्वसनीय किसान भी जोड़े हैं जिनका घी वो अपने साथ बेचते हैं और वो उसी क्वालिटी का होता है जो वो देते हैं। अरुण अपने आसपास भी लोगों को क्वालिटी वाली चीजें उगाने और बनाने पर जोर देते हैं।

अपनी गायों के बारे में बात करते हुए अरुण ने बताया कि उनके पास मुख्य तौर पर दो तरह की गाये हैं। एक है साहीवाल और दूसरी थार पार्कर। अब अरुण गायों की ब्रीडिंग करते हैं। एक वक्त पर वो हरियाणा पंजाब के बॉर्डर से गायें लाए थें, अब वो खुद हरियाणा को गाय/बछड़ियां बेचते हैं। ये काफी अच्छी नस्ल की गाय मानी जाती है। वहीं उन्होंने अपनी दूसरी गाय के बारे में बात करते हुए कहा कि थार पार्कर गाय को ये नाम इसलिए दिया गया क्योंकि वो एक बार में पानी पीकर पूरे थार को पार कर जाती है। ये गाय बीमार कम पड़ती है और इसके रखरखाव में कम जरूरत होती है।

वहीं किसी दूसरे को अगर पशुपालन शुरू करना है तो अरुण कहते हैं कि सबसे पहले किसी भी किसान भाई को एक या दो पशु से ही शुरुआत करना चाहिए, जो कि आपके इलाके के हों। अपने आसपास 50 किलोमीटर की दूरी में जो बेहतर नस्ल के पशु हैं, आप उन्हें लाएं क्योंकि वो आपके माहौल में आसानी से ढल जाते हैं। क्योंकि पशुओं पर भी जलवायु का असर पड़ता है और इससे दुग्ध उत्पादन पर भी फर्क पड़ेगा। इसके अलावा अरुण कहते हैं कि गायों के इनब्रीडिंग से भी बचाना चाहिए ताकि गायें ज्यादा दूध दें।

सरकार को देते हैं 100 क्विंटल आम
अरुण बताते हैं, ”आम हम उत्तर प्रदेश सरकार को देते हैं 100 क्विंटल। सरकार हमसे आम खरीदती है। योगी जी की चिट्ठी आती है हाथ से लिखी हुई। लखनऊ से डिब्बे आते हैं। एक डिब्बे में 9 आम रखे जाते हैं। यहीं उनकी पैकिंग होती है।” अरुण का सपना है कि वो 12 महीनें आम खिलाएंगे। इसके लिए वो तकनीक पर काम रहे हैं। वो अपने यहां फूड प्रोसिस यूनिट सेटअप करना चाहते हैं।

‘मोटे अनाज की तरफ बढ़ें’
अरुण ने बताया कि उन्होंने धान उगाना बहुत कम कर दिया है। गेंहू उगाते हैं लेकिन इसके साथ साथ वो मोटे अनाज पर भी जोर दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि वो रागी, ज्वार और बाजरा जैसे आइटम उगा रहे हैं। इनकी नमकीन वगैरह भी बनाई जाती है। सरकार भी मोटे अनाज की तरफ जोर दे चुकी है। ये सभी जानते हैं कि मोटे अनाज के कितने फायदे हैं, इसलिए अरुण कुमार ने अपनी पारंपरिक फसलों पर फिर से जोर देना शुरू किया है। वो आगे तिल की पैदावार भी बढ़ाने वाले हैं।

रोजगार भी दे रहे अरुण
अरुण ने बताया कि उन्होंने तीन लोगों को सीधे तौर पर गौशाला के लिए रखा हुआ है। वहीं दो लोग गोबर के प्रोडक्ट्स बनाते हैं। इसका भी अपना एक बिजनेस है। वहीं खेतों के लिए जब जब जरूरत होती है, वो लोगों को बुलाकर अपने आसपास के लोगों को काम देते हैं।

परिवार ने शुरू में नहीं दिया साथ
अरुण के लिए ये सफर आसान नहीं था। उन्होंने जब एक सरकारी नौकरी छोड़ खेती किसानी और पशुपालन करने का सोचा तो परिवार ने शुरू में साथ नहीं दिया। सभी को लगता था कि महीने में एक सैलरी आ रही है और वो अब नहीं आएगी। लेकिन अरुण नहीं माने और उन्होंने अपना काम शुरू किया। शुरुआत में उन्होंने आम का बाग लगाया तो उसमें भी फल आने में समय लगा। आज भले ही उनके पास 19 गाये हैं और लेकिन उन्होंने भी एक दो गायों से शुरुआत की थी। वहीं ऑर्गनिक खेती में जहां 5 क्विंटल फसल होनी है, उसमें 2 क्विंटल ही हो पाती है। लेकिन उनकी जिद थी कि वो सब कुछ शुद्ध ही रखेंगे और आज परिणाम उनके सामने है।

फ्यूचर प्लान
अरुण ने बताया, ”हम चाहते हैं कि मल्टीनैशनल जैसी कंपनी स्थापित करें जो बढ़िया पैकेजिंग के साथ शुद्ध खाने पीने का सामान मार्केट में भेजे। सभी लोग शुद्ध खाना पीना करें। हम साथ में ये भी चाहते हैं कि इन प्रोडक्ट की कीमत इतनी हो कि सबकी पहुंच बन सके। ये ज्यादा महंगे ना हो। वो अपनी एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट सेटअप करना चाहते हैं। अरुण का प्लान है कि वो सीधा कोई सामान ना बेचें बल्कि उसका प्रोडक्ट बनाकर, उसकी प्रोसेसिंग करके बेचें। लेकिन शुद्ध बेचें।”

अगर आप भी अरुण कुमार से शुद्ध ऑर्गनिक चीजें और शुद्ध गाय का घी खरीदना चाहते हैं या उनसे कृषि से संबंधित बात करना चाहते हैं तो उन्हें 9015380806 पर संपर्क कर सकते हैं।

 

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