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इंग्लैंड से लौटकर पति के साथ मिलकर शुरू किया डेयरी फार्मिंग, साल का सवा करोड़ रुपए का टर्नओवर

पीलीभीत में डेयरी फार्मिंग करने वाली निक्की इंग्लैंड से पढ़ाई करके लौटी थीं। अंदर जज्बा था कि देश के लिए भी कुछ करना है तो उन्होंने उनके पति ने डेयरी सेक्टर को चुना और अब इसे आगे ले जाना का उनका प्लान है।

Rohit Maurya by Rohit Maurya
June 1, 2024
in पशुपालन
इंग्लैंड से लौटकर पति के साथ मिलकर शुरू किया डेयरी फार्मिंग, साल का सवा करोड़ रुपए का टर्नओवर

भारत दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में सबसे आगे है। अभी भी इसका उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। भारत में दूध उत्पादन 2014-15 से 2023 तक लगभग 6% प्रति वर्ष की दर से बढ़ा है, जबकि वैश्विक वृद्धि दर लगभग 2% है। हालांकि इन आंकड़ों को देखकर ये कहना सही नहीं होगा कि पशुपालक या किसान दूध उत्पादन से बहुत बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं और उनका घर इसी से चलता है। ऐसे पशुपालक कम ही हैं। गांवों में बहुत से ऐसे किसान हैं जो अपने दूध का सही मूल्य भी नहीं पाते हैं। लेकिन कुछ युवाओं में अब कृषि उद्योग में कदम रखा है और वो इसे आगे लेकर आज रहे हैं।

इन्ही में से एक युवा कपल हैं निक्की और उनके पति गौरव चौधरी। दोनों मिलकर उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में डेयरी फार्मिंग करते हैं। इसके जरिए ना सिर्फ वो अपना स्टार्टअप चला रहे हैं बल्कि आसपास के गांवों के किसानों को भी इसका फायदा मिल रहा है। निक्की ने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन इंग्लैंड से की है और वो हमेशा से ही भारत वापस आकर देश के लिए प्रोडक्टिव काम करना चाहती थीं। किसान संवाद टीवी से बात करते हुए उन्होंने बताया कि दूध उत्पादन ऐसा क्षेत्र हैं जहां आज भी काफी काम करने का स्कोप है।

निक्की के शुरुआती दिनों की बात करें तो उन्होंने और अब उनके पति और तब सहपाठी रहे गौरव दोनों ने ही दिल्ली विश्वविद्यालय से इकॉनमिक में ग्रेजुएशन की थी। इसके बाद निक्की इंग्लैंड चली गईं थीं।

डेयरी फार्मिंग ही क्यों चुना?
निक्की ने बताया कि उनके पति थर्ड जेनेरेशन फार्मर हैं। गौरव का पहले से तय था कि वापस ग्रामीण क्षेत्र में जाकर काम करना है। उन्होंने काफी रिसर्च करके ये पाता था कि डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में काफी काम होना है। साल 2010 में गौरव ने फिर पीलीभीत में डेयरी फार्मिंग पर धीरे धीरे काम करना शुरू किया। निक्की का भी तय था कि इंडिया वापस आकर कुछ करना है। निक्की और गौरव की साल 2011 में शादी हो गई। दोनों ने फिर डेयरी फार्मिंग को ही अपना करियर बना लिया और सोचा कि इसी सेक्टर को अब मजबूत करना है।

गौरव ने भले ही फैमिली की जमीन पर डेयरी फार्मिंग शुरू कर दी थी लेकिन 2011 से 2014 तक निक्की लगातार इसके बारे में जानकारी जुटाती रहीं और एक्सपीरियंस लेती रहीं। लेकिन साल 2015 में दोनों ने कमर्शियल डेयरी फार्मिंग शुरू की। इसका नाम दोनो ने मैंगो डेयरी रखा।

निक्की के डेयरी फार्म में करीब 25 गाय और भैसे हैं। इनकी संख्या वो बढ़ाकर 50 करने वाले हैं। डेयरी फार्मिंग के साथ इनके यहां मिल्क प्रोसेसिंग भी किया जाता है। मतलब दूध से कई तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं जैसे दही, पनीर, घी और खोया। हालांकि दूध से उत्पाद बनाने का काम उन्होंने दो साल पहले ही शुरू किया है।

आसपास के डेयरी फार्मर्स को ऐसे पहुंच रहा फायदा
निक्की बताती हैं, ”हमने देखा की आसपास के डेयरी फार्मर्स को मार्केट तक पहुंच की बहुत दिक्कत थी। वो अपना दूध सही दाम पर नहीं बेच पाते थे। उनका दूध कम दाम पर बिकता था और वो घाटे में रहते थे। तो हमने सोचा वैल्यू एडेड प्रोडक्ट बनाएंगे, उसके जरिए हम डेयरी फार्मर्स को भी सही दाम दे पाएंगे। हमारे साथ अभी 10 ऐसे किसान जुड़े हैं जो हमेशा ही दूध देते हैं लेकिन करीब 5 किसान ऐसे भी हैं जिनका दूध हमारे पास सीजनल आता है।”

उन्होंने बताया कि किसानों को पशुओं और उनके रखरखाव से जुड़ी जानकारी का भी अभाव रहता है। उन्हें नहीं पता होता कि कितना और कैसा पौष्टिक चारा देना है। कैसे ब्रीडिंग करनी है। तो निक्की और गौरव खुद भी इन बातों पर ध्यान देते हैं और अपने एरिया के किसानों को भी ये सब सिखा रहे हैं। क्योंकि एक वक्त ऐसा भी था कि जब उन्होंने अपने एरिया में देखा था कि कुछ डेयरी फार्म बंद हो गए थे और कुछ बंद होने वाले थे।

निक्की ने बताया कि उनकी डेयरी फार्मिंग में 600 से 700 लीटर दूध का रोजाना इस्तेमाल किया जाता है जिससे वो अपने दूध के उत्पाद बनाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी मैंगो डेयरी ब्रांड के जरिए वो दिल्ली, एनसीआर, हरियाणा और उत्तराखंड में घी, दही और खोया बेचते हैं। लेकिन पनीर फिलहाल बिना ब्रांडिंग किए आसपास के मार्केट्स में बेचा जा रहा है।

‘डेयरी फार्मिंग है घाटे का सौदा’
निक्की मानती हैं कि सामान्य तौर पर डेयरी फार्मिंग घाटे का सौदा माना जाता है। इसलिए उन्होंने खुद दूध प्रोसेस करना शुरू किया। क्योंकि उससे पहले उनकी डेयरी घाटे में रहती थी। हालांकि अब टर्नओवर सालाना सवा करोड़ पहुंच चुका है। लेकिन हां वो अपने से जुड़े हुए किसानों का फायदा ही करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ दूध बेचने से घाटना होना लाजमी हो जाता है क्योंकि दूध की शेल्फ लाइफ कम है। लोगों की मार्केट तक पहुंच कम है या लोगों में उतनी जागरुकता नहीं है। गर्मी के मौसम में भी दूध पर सीधी मार पड़ती है। अगर मई-जून जैसे महीने में अगर दो घंटे के लिए भी दूध ऐसे ही रख दिया तो वो बहुत जल्द खराब हो सकता है। लोगों को दूध के सही दाम भी नहीं मिलते।

ऑर्गनिक खेती पर भी आजमा रहे हाथ
देश में ऑर्गनिक खेती का भी जोर है और युवा किसानों में इसका रुझान ज्यादा देखने को मिल रहा है। ऐसे में निक्की और गौरव ने भी 5 एकड़ पर ऑर्गनिक खेती शुरू कर दी है और इसको भी उनका बढ़ाने का पूरा पूरा इरादा है।

क्या है भविष्य के प्लान?
दोनों का प्राइमरी फोकस डेयरी फार्मिंग ही है। निक्की ने बताया कि अब वो चाहते हैं कि उनके साथ सिर्फ 10-15 नहीं बल्कि 50-100 किसान और पशुपालक जुड़े जो डेयरी फार्मिंग कर रहे हैं। अब निक्की-गौरव अपनी दूसरी मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट की भी तैयारी कर रहे हैं। इसी के साथ ही उन्होंने रोजगार भी दिया हुआ है। मैंगो डेयरी में करीब 8 से 10 लोग भी काम करते हैं।

युवाओं को संदेश
निक्की पढ़े लिखे युवाओं से चाहती हैं कि वो कृषि में योगदान दें। क्योंकि युवाओं का योगदान कृषि में बहुत कम है। वहीं देश में किसानों की दशा अभी भी ठीक नहीं है। उनके लिए प्रति संवेदनशील हों। उनके लिए काम किया जाए। उन्होंने कहा कि खाने पीने में भी जंक फूड की जगह नैचुरल फूड खाया जाए। लोग पिज्जा और कोक तो ले लेते हैं खाने के लिए। ज्यादा पैसे दे देते हैं लेकिन दूध पर ज्यादा पैसे खर्च करना पसंद नहीं करते। इसलिए निक्की की अपील है कि युवा कृषि के महत्व को समझें और हेल्दी खाए पिएं।

 

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