विश्व पर्यावरण दिवस: मिलिए पीपल बाबा से, जिन्होंने हजारों-लाखों नहीं बल्कि लगाए हैं करोड़ों पेड़

आज ना सिर्फ अपना भारत देश बल्कि पूरी धरती तप रही है। ग्लोबल वार्मिंग का स्तर बढ़ता जा रहा है और उससे किस तरह से पृथ्वी पर प्रभाव पड़ रहे हैं, ये हमारे सामने है। जहां सूखा पड़ता था वहां अब झमाझम बारिश होने लगी है और बारिश वाली जगह पर सूखा पड़ने की नौबत आ रहा है। जलवायु परिवर्तन ने वातावरण को बुरी तरह से प्रभावित किया है। वैसे अगर हम सब जमीनी स्तर पर खुदसे से कुछ करना चाहें तो इसका एक सबसे बढ़िया उपाय पेड़ लगाना है।

ये बात आजाद नाम के एक बच्चे को 1977 में ही समझ आ गई थी। उसकी टीचर ने अकसर पर्यारवण की बातें करती थीं और नदियों के सूखने की चिंता भी जताती रहती थीं। लेकिन वो ये भी कहती थीं कि क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण सबका उपाय पेड़ हैं। 10 साल के आजाद ने तभी 26 जनवरी को माली काका की मदद ली। वो उसकी साइकिल पर बैठा और नर्सरी से 9 पौधे ले आया और उन्हें रेंज हिल रोड, खिड़की कैंटोनमेंट, पुणे में लगा दिया। ये पेड़ आज भी वहीं मौजूद हैं। तब से जो पेड़ लगाने का सिलसिला चालू हुआ था वो आज भी जारी है। आजाद नाम के इस बच्चे का असली नाम स्वामी प्रेम परिवर्तन है जिन्हें हम आज पीपल बाबा के नाम से जानते हैं। उन्होंने पूरे भारत में ढाई करोड़ पेड़ लगवा डाले हैं।

एक-एक पेड़ का रखते हैं हिसाब
पीपल बाबा ने जब से पेड़ लगाने शुरू किए हैं, वो तबसे ही वो पेड़ों का हिसाब रखते हैं। वो कहते हैं कि हमें अपने कर्मों का लेखा-जोखा रखना चाहिए। पीपल बाबा के पिता सेना में थे और इसलिए देशभर में उनका ट्रांसफर होता रहता था। तो पीपल बाबा भी जहां जाते थे वहां अपने पेड़ लगाते रहते थे।

धीरे धीरे जब पीपल बाबा बड़े हुए। स्कूल का सफर खत्म हुआ तो उन्होंने इंग्लिश में पोस्ट ग्रेजुएशन की। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग कंपनियों में 13 साल तक इंग्लिश एजुकेशन ऑफिसर के तौर पर काम किया था। हालांकि उन्होंने पेड़ लगाना नहीं छोड़ा। लेकिन पेड़ लगाने की अपनी हॉबी को उन्होंने फुट टाइम कर लिया। वहीं अपने जीवनयापन और फैमिली के लिए वो ट्यूशन्स देते रहे।

जॉन अब्राहम ने दी थी ये सलाह
पीपल बाबा पहले अकेले ही अपने इस काम में लगे रहते थे लेकिन धीरे धीरे इनके काम को पहचान मिलने लगी थी। एक बार उनकी मुलाकात जॉन अब्राहम से हुई। तब जॉन ने सलाह दी कि उन्हें अकेले नहीं बल्कि कुछ लोगों के साथ मिलकर और एनजीओ बनाकर इस काम तो सही तरीके से करना चाहिए। पीपल बाबा को भी जॉन की ये सलाह ठीक लगी और साल 2011 में उन्होंने गिव मी ट्रीज ट्रस्ट बनाया। उनके साथ करीब 30 से ज्यादा लोग काम करते हैं। पीपल बाबा दिल्ली में रहते हैं और उन्होंने नोएडा में अपनी नर्सरी तैयार कर ली है। लेकिन जहां भी बड़ी संख्या में पेड़ लगाने की जरूरत पड़ती है, तो लोग या कोई संस्था उन्हें बुलाती है और वो पूरा जंगल ही बसा देते हैं।

पीपल बाबा कैसे पड़ा नाम?
पीपल बाबा बताते हैं कि ये बात उस वक्त की है जब वो राजस्थान के पाली जिला में गए थे। वहां जिले में सूख रहे कुओं की बात हो रही थी। इसका उपाय बताते हुए पीपल बाबा ने कहा कि बड़ के पेड़ लगाने चाहिए क्योंकि उसकी जड़ें पानी खींचती हैं। इसके बाद उन्होंने वहां पीपल और बड़ के पेड़ लगवाए।

वहीं पाली में एक चौपाल लगी थी तो वहां के सरपंच ने लोगों को इंट्रोडक्शन देते हुए उन्हें पीपल बाबा कहा। हालांकि वो इस नाम से खुद चौंक गए थे लेकिन तब से उनको पीपल बाबा के नाम से ही जाना जाने लगा।

सिर्फ पीपल ही नहीं लगाते पीपल बाबा
पीपल बाबा का कहना है कि उन्हें भले ही पीपल बाबा कहा जाता है लेकिन वो पीपल के अलावा नीम, जामुन, अमरूद और इमली जैसे पेड़ भी लगाते हैं। वो कहते हैं कि जगह के हिसाब से पेड़ लगाने चाहिए। हर जगह की अपनी जलवायु होती है। लोगों को ये पता ही नहीं होता है कि कब और कहां कौन से पेड़ लगाने चाहिए। इसलिए वो समय समय पर इसकी जागरुकता भी फैलाते रहते हैं। स्कूल-कॉलेजों में पीपल बाबा वर्कशॉप लगवाकर फ्री में पेड़ लगवाते हैं और बांटते हैं।

पेड़ काटने को लेकर बहुत से एक्टिविस्ट धरना देते रहते हैं। लेकिन पीपल बाबा हमेशा पॉजिटिव रहते हैं। उनका कहना है कि जितनी देर वो धरना देंगे, उतनी देर में वो कुछ पेड़ ही लगा देंगे। उनका कहना है कि वो पेड़ काटने वालों को रोक नहीं सकते लेकिन वो पेड़ लगा देंगे। अगर कोई हजार पेड़ काटेगा तो वो दो हजार लगवा देंगे। अब तो पीपल बाबा अपनी नर्सरी में ऑर्गनिक खेती भी करवाने लगे हैं। वो अपने सोशल मीडिया के जरिए पॉजिटिव बाते करते हैं और लोगों को प्रकृति के प्रति ज्यादा से ज्यादा संवेदनशील होने का संदेश देते हैं।

आज हमारी धरती जिस तरह से तप रही है, उसे ऐसे ही सैंकड़ों-हजारों पीपल बाबा की जरूरत है। हम सब भी पीपल बाबा बन सकते हैं। उनका कहना है कि अगर कोई करोड़ों पेड़ नहीं लगा पाएगा तो अपने आसपास के पेड़ों का ख्याल रख सकता है और अपने आसपास के इलाके को हराभरा कर सकता है। अगर पूरे भारतवर्ष के लोग ऐसा जिम्मा उठा लें तो अलग से पीपल बाबा की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इसलिए आप पेड़ लगाएं और धरती बचाएं। जाहिर है इससे तपती जलती जमीन को थोड़ी राहत मिलेगी। तापमान कंट्रोल में रहेगा और जलवायु परिवर्तन पर असर पड़ेगा। आइए इस पर्यवरण दिवस पर हम सब अपने आसपास पेड़ लगाने की शपथ लें।

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