Thursday, September 19, 2024
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विदेश की नौकरी छोड़ परिवार के लिए वापस आए नवदीप, अब खेती से करोड़ों में होती है कमाई

आजकल देश में युवाओं में खेती किसानी का रुझान बढ़ रहा है। कई युवा हैं जो खेती से लाखों-करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। लेकिन ये तो बात भारत के उन युवाओं की है जो यहां रह रहे हैं। लेकिन आज हम आपको उस सफल युवा किसान की कहानी बताने जा रहे हैं जो इंग्लैड जाकर बस गया था। ये कहानी राजस्थान के जोधपुर के नवदीप गुलेछा की है। जो यूके में पढ़े और वहीं इनवेस्टमेंट बैंकर की नौकरी भी कर रहे थे। लेकिन आज वो राजस्थान में अनार के एक बड़े उत्पादक और प्रेरक युवा किसान के तौर पर जाने जाते हैं। लेकिन वो विदेश से भारत आकर खेती क्यों करने लगे?

नवदीप ने किसान संवाद टीवी से बात करते हुए कहा, ”मेरा 10वीं क्लास से ही गोल क्लियर था कि मुझे बॉम्बे जाकर ग्रेजुएशन करनी है और मास्टर्स पूरी करके यूके में ही काम करूंगा। सब सेट था और मैं उसी पर चल रहा था। मेरे वापस आने का कारण मेरे घर वाले थे। हम तीन भाई हैं। मैं यूके चला गया और दोनों भाई बॉम्बे चले गए। तो घर वाले अकेले रह गए थे। तो उन्होंने एक दिन बातों बातों में कहा कि मन नहीं लग रहा और दूसरे ही दिन मैं वापस आ गया।”

नवदीप के परिवार का रियल एस्टेट का बिजनेस हैं। हालांकि वो इंडिया आकर अपना कुछ काम शुरू करना चाहते थे। हालांकि फुल टाइम खेती शुरू करने से पहले उन्होंने थोड़ा बहुत अपनी फैमिली के बिजनेस में हाथ बंटाया। लेकिन इस दौरान वो कई तरह की संभावनाएं तलाश रहे थे। इस दौरान उनका संपर्क मुंबई के एक बिल्डर से हुआ। वो जोधपुर आए थे और नवदीप से मिले तो उन्होंने नवदीप को अपने साथ पोखरण में पौधे लगाने के प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया।

लेकिन पोखरण की मिट्टी खेती लायक नहीं थी। बिल्डर ने तो अपना प्रोजेक्ट छोड़ दिया। लेकिन नवदीप इसमें इतना शामिल हो चुके थे कि उन्होंने सोचा क्यों ना अब खेती किसानी ही की जाए। उनके पास सिरोही में उनकी करीब 150 एकड़ की जमीन थी और इसमें उन्होंने अनार लगाए। हालांकि इससे पहले उन्होंने खेती किसानी की बारीकियां सीखीं और सैंकड़ों किसानों से भी मिले।

जैसा कि नवदीप अनार ही सबसे ज्यादा उगाते हैं तो उन्होंने इसका इंतजार नहीं किया कि वो पहले एक्सपेरीमेंट करें फिर अनार उगाएं क्योंकि अनार के पौधे से फल आने में करीब दो साल लग जाते हैं। शुरुआत में अनार उगाने के लिए नवदीप ने महाराष्ट्र के कंसल्टेंट की मदद ली। उन्हें इसका अच्छा फल मिला। अब तो करीब उन्हें 6 साल अनार की खेती करते हो गया और उनका सलाना टर्नओवर 1 करोड़ से ज्यादा का रहता है।

लेकिन अनार ही क्यों?
दरअसल नवदीप का लक्ष्य सिर्फ खेती ही नहीं बल्कि खेती में बिजनेस था। उन्होंने कमर्शियल तौर पर अपने इलाके में रिसर्च की तो पता चला कि अनार के लिए उनकी जमीन की मिट्टी, पानी और वातावरण अनुकूल है। इसलिए उन्होंने अनार को चुना। अनार की फसल से उन्हें अच्छा मुनाफा हो जाता है। हालांकि अपनी कुछ जमीन पर उन्होंने सीताफल और नींबू अभी लगाए हुए हैं जिसका अभी वो ट्रायल कर रहे हैं। नतीजे देखने के बाद वो फैसला करेंगे कि इन्हें आगे बढ़ाना है या नहीं।

विदेशों में भी जाता है अनार
नवदीप सिर्फ अनार उगाने पर ही नहीं बल्कि इसकी मार्किटिंग पर भी काफी ध्यान देते हैं। उनका अनार विदेशों में भी एक्सपोर्ट होता है। लेकिन वो इस बात का ज्यादा ख्याल रखते हैं कि उन्हें कहां रेट अच्छे मिल रहे हैं। नवदीप कहते हैं, ”अगर मुझे लखनऊ की मंडी में अच्छे भाव मिल जाते हैं तो मैं या अपने अनार बेच देता हूं। जहां हमें भाव अच्छे मिलते हैं, हम वहां अपना माल बेचते हैं।” नवदीप ने खेती करने के साथ ही मार्किटिंग के लिए भी काम शुरू कर दिया था। आज की तारीख में वो 100-150 खरीदारों के साथ जुड़े हुए हैं।

अनार की खेती में करते हैं तकनीक का उपयोग
नवदीप भारत में मौजूद तकनीकों का सहारा लेते हैं। उन्होंने कहा, ”सबसे पहले तो मैं ड्रिप इरिग्रेशन का इस्तेमाल करता हूं और वो भी ऑटोमेटेड है। दूसरा पोलीमर्ज का यूज करता हूं ताकि एवोपोरेशन लॉस रोक सकूं। तीसरा फार्म पॉन्ड मैंने बना रखा है ताकि पानी उसमें स्टोर कर सकें। हमने इजराइल की कंपनी से टाइअप कर रखा है जो हर हफ्ते हमारे खेतों की सैटेलाइट इमेज भेजती है। इसमें ये पता चलता है कि कहां पर पानी ज्यादा हो रहा है और कहां पर कम हो रहा है। इसके हिसाब से हम ड्रिप इरीग्रेशन एडजेस्ट करते हैं।”

नवदीप तकनीक पर इसलिए ज्यादा जोर दे रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि 70% भारतीय खेती किसाने से जुड़े हैं लेकिन उतना आउटपुट निकलता नहीं है। इसलिए ये शुरुआत करनी ही पड़ेगी ताकि कृषि के टारगेट पूरे किए जा सकें।

रोजगार भी दे रहे हैं नवदीप
नवदीप के खेतों में 12-15 लोग तो सीधे जुड़े हुए हैं। इसके अलावा जब जरूरत होती है जैसे अनार तोड़ने के समय या पौधों की छटाई करने के समय, तब वो आसपास के गांवों के 50 लोगों को भी काम देते हैं। वो भले ही तकनीक का ज्यादा से ज्यादा सहारा ले रहे हैं लेकिन वो ये भी नहीं चाहते कि उनके आसपास के गांव वालों को काम ना रहे।

अब फ्री में बांटते हैं कृषि की जानकारी
नवदीप को देखकर उनके आसपास के लोगों ने भी फल लगाने शुरू किए हैं। हालांकि वो इस बात पर जोर भी देते हैं कि हर किसान अगर 10 एकड़ में खेती कर रहा है तो 1 एक एकड़ में पहले वो फल लगाकर देखे और उसके बाद आगे बढ़े। नवदीप बताते हैं कि उनकी वीडियोज वगैरह देखकर उनके पास तमाम कॉल आते हैं। उनसे लोग सलाह देते हैं और वो फ्री में लोगों को अपनी जानकारी शेयर करते हैं। लोग उनके खेतों में भी आते हैं और चीजें सीखकर जाते हैं।

आगे क्या है प्लान?
चूंकि नवदीप एक बिजनेस माइंड रखते हैं तो वो अपनी एक एजेंसी सेटअप कर रहे हैं जिसके जरिए वो तमाम उन जमीदारों को कंसल्ट भी करेंगे जिनकी जमीनें खाली पड़ी हैं। या कोई बड़े पैमाने पर अगर खेती शुरू करना चाहता हैं। उन्होंने बताया कि उनके आसपास कई ऐसे लोग हैं जिनके पास जमीन और पैसा दोनो है लेकिन वो खेती में अपना मत्था नहीं मारना चाहते। ऐसे लोगों को नवदीप ऐसी सर्विस देना चाहते हैं जिससे खाली पड़ी जमीनों पर पेड़ पौधे लग सकें। आसपास के लोगों को रोजगार मिले। और तो और हम जो ग्लोबल वॉर्मिंग की बात करते हैं। उसमें ये काम राहत पहुंचाएगा।

युवाओं को संदेश
खुद एक सफल युवा किसान होने के नाते नवदीप दूसरे युवाओं से भी ये आग्रह करते हैं कि वो खेती में आएं। जो लोग कोर्पोरेट की दुनिया में खट रहे हैं वो अगर अपना खुद का काम शुरू करेंगे और अपनी जमीन से जुड़ेंगे तो ये चीज उनके आने वाली पीढ़ी को भी फायदा देगी। क्योंकि अगर उनके बच्चे नौकरी शुरू करेंगे तो शुरू से शुरू करेंगे लेकिन अगर किसी के पास खुद का काम रहेगा तो वो उनके बच्चों के भी काम आएगा।

 

 

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